
स्वास्थ्य रक्षक संतरा
| | 13 May 2017 8:51 AM GMT
उमेश कुमार साहूसंतरे का रस ज्वर के रोगी को देने से उसे शांति व शक्ति मिलती है और मुंह सूखने व प्यास...
उमेश कुमार साहू
संतरे का रस ज्वर के रोगी को देने से उसे शांति व शक्ति मिलती है और मुंह सूखने व प्यास लगने की शिकायत में कमी आती है। शरीर में खुश्की व गर्मी बढ़ने नहीं पाती। इसे दिन में बार-बार पिला सकते हैं। इससे मल-मूत्र विसर्जन में कठिनाई नहीं होती और पेशाब में जलन नहीं होती।
पायरिया:- संतरे का रस प्रतिदिन पीने और इसके छिलकों के चूर्ण को दंत मंजन में मिलाकर मसूड़ों पर लगा कर मलने से इस रोग में लाभ होता है।
त्वचा रोग:- दाद, खाज-खुजली और फुंसी होने पर संतरे का रस पीने और ताजे छिलकों को त्वचा पर रगड़ने से लाभ होता है।
पेट के कृमि:- संतरे के ताजे छिलकों को 4 कप पानी में डालकर उबालें। जब एक कप शेष बचे, तब उतार कर छान लें और इसमें एक माशा हींग घोल दें। इस पानी को 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से बच्चों के पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।
मुंहासे:- संतरे के ताजे छिलके और चिरौंजी को कूटपीस कर लेप बना लें। इस लेप को सोते समय चेहरे पर लगाने और सूखने पर पोंछकर सुबह धोने से मुंहासे ठीक होते हैं और त्वचा का रंग निखरता है।
गर्भकाल:- गर्भवती स्त्री पूरे गर्भकाल में संतरे के रस का प्रयोग करे तो गर्भस्थ शिशु स्वस्थ, सुडौल और सुंदर त्वचा वाला होता है। गर्भवती को अतिसार होने पर संतरे का रस देना बहुत उपयोगी होता है।
जी मिचलाना:- संतरे की कलियां चूसने से जी मिचलाना बंद होता है। उल्टी के समय संतरे की कलियां चूसना लाभप्रद है।
शिशु स्वास्थ्य:- छोटे बच्चों को मीठे संतरे का रस थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन पिलाने से उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है, रक्त शुद्ध रहता है, त्वचा उजली और स्वस्थ रहती है। हड्डियां मजबूत और शरीर बलवान बनता है। उसका विकास अच्छी तरह से होता है।