post authorSuper Admin 11/16/2023 5:47:40 PM (38) (3483)

डाला छठ की सुगंध,घरों में छठी मइयां के पारम्परिक गीत बज रहे ,प्रसाद बनाने की तैयारी

Ranchi Express


वाराणसी,16 नवम्बर  काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय डाला छठ की सुगंध फिजाओं में बिखरने लगी है। छठी मइया के पारम्परिक गीत केरवा जे फरेला घवद से,ओह पर सुगा मेडराय.., आदित लिहो मोर अरघिया, दरस देखाव ए दीनानाथ…। उगिहैं सुरुजदेव…। हे छठी मइया तोहार महिमा अपार… कांचहिं बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय..घरों और बाजार में गूंज रहे हैं।

ये गाने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर भी उपस्थिति दर्ज कराये हुए है। इस बार भी लोक गायिका शारदा सिन्हा, देवी, मालिनी अवस्थी, कल्पना, मनोज तिवारी, पवन सिंह, खेसारी आदि के छठ के गीतों को लोग चाव से सुन रहे है। बाजारों में छठ पूजा के लिए नया चावल, गुड़ व सूप-दउरा,गन्ना , फल-फूल,आदि की अस्थायी दुकानें चौराहों पर सजने लगी है। घरों में भी व्रत की तैयारी में जुटी महिलाओं के साथ उनके परिजन भी प्रसाद के लिए सामान और वेदी के लिए जगह छेंकने में जुट गए है। इस चार दिवसीय पर्व में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। सभी प्रसाद देशी घी से बनते हैै। जिन घरों में छठ का व्रत होता है उन घरों में चार दिनों तक लहसुन व प्याज का विशेष रुप से परहेज रहता है।



महापर्व की शुरूआत 17 नवम्बर शुक्रवार को नहाय खाय से होगी। पहले दिन व्रती महिला और उनके परिवार के पुरुष सिर्फ एक समय ही भोजन करते हैं। भोजन ग्रहण करने से पहले सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है। भोग के लिए चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाई जाती है। साथ ही पहले दिन व्रत रखने वाले पहले खाना खाते हैं इसके बाद ही परिवार के बाकी लोग भोजन ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन शनिवार, 18 नवंबर को खरना की रस्म होगी। दूसरे दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखती है। फिर शाम के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसी प्रसाद को व्रती ग्रहण करती हैं। फिर इस प्रसाद को बाकी लोगों में बांटा जाता है।

इसके बाद से 36 घंटे का लंबा निर्जला उपवास शुरू होता है। तीसरे दिन 19 नवम्बर को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व का तीसरा दिन सबसे कठिन होता है। इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाया जाने वाला ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है। छठ पूजा में चौथे दिन 20 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।



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