post authorSuper Admin 11/17/2023 6:52:46 PM (38) (3483)

साहित्यकार से.रा.यात्री पंचतत्व में विलीन

Ranchi Express

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद, 17 नवंबर  देश के वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार से.रा. यात्री शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। गाजियाबाद के हिंडन श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका सुबह निधन हो गया था। गाजियाबाद के कवि नगर स्थित अपने घर पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह कुछ समय से बीमार थे। यह जानकारी उनके परिजनों के करीबी एडवोकेट प्रवीण ने दी।

दस जुलाई 1932 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मे सेवा राम यात्री साहित्य की दुनिया में से.रा.यात्री के नाम से ख्यातिलब्ध हुए। उन्होंने करीब 18 कथा संग्रह, 33 उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह लिखे। इसके अलावा एक कथा संग्रह और संस्मरण कृति का संपादन किया।

उनके उपन्यासों में दराजों में बंद दस्तावेज, लौटते हुए, कई अंधेरों के पार, अपरिचित शेष, चांदनी के आरपार, बीच की दरार, टूटते दायरे, चादर के बाहर, प्यासी नदी, भटका मेघ, आकाशचारी, आत्मदाह, बावजूद, अंतहीन, प्रथम परिचय, जली रस्सी, युद्ध अविराम, दिशाहारा, बेदखल अतीत, सुबह की तलाश, घर न घाट, आखिरी पड़ाव, एक जिंदगी और, अनदेखे पुल, कलंदर, सुरंग के बाहर, कथा संग्रह में केवल पिता, धरातल, अकर्मक क्रिया, टापू पर अकेले, दूसरे चेहरे, अलग-अलग अस्वीकार, काल विदूषक, सिलसिला, अकर्मक क्रिया, खंडित संवाद, नया संबंध, भूख तथा अन्य कहानियां, अभयदान, पुल टूटते हुए, विरोधी स्वर, खारिज और बेदखल, परजीवी, व्यंग्य संग्रह में किस्सा एक खरगोश का, दुनिया मेरे आगे, संस्मरण में लौटना एक वाकिफ उम्र का शामिल है।



उनकी पत्नी उषा देवी, दो पुत्रियों का निधन हो चुका है। अब उनके परिवार में एक पुत्री और दो पुत्र आलोक यात्री और अनुभव यात्री हैं। से.रा. यात्री को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उनमें प्रमुख हैं-सेतु शिखर सम्मान, पिट्सबर्ग अमेरिका (2017), महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (2011), सारस्वत सम्मान (2007), साहित्य भूषण (2006) ।

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