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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से घोटाले के आरोप में जेल जाने तक, कैसा रहा केजरीवाल का सियासी सफर


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को सीएम पद छोड़ने एलान कर सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा कि वह दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके साथ उन्होंने दिल्ली में समय से पहले चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाण-पत्र नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। केजरीवाल ने कहा कि विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें नए सीएम के नाम पर सहमति बनाई जाएगी।

'जनता की अदालत से ईमानदारी का प्रमाण पत्र लेने के बाद ही कुर्सी पर बैठूंगा'
आबकारी नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 'मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तभी बैठूंगा, जब लोग मुझे ईमानदारी का प्रमाण-पत्र देंगे। जेल से बाहर आने के बाद अग्निपरीक्षा देना चाहता हूं। मैं मुख्यमंत्री और सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तभी बनेंगे, जब लोग कहेंगे कि हम ईमानदार हैं। हम चुनाव आयोग से दिल्ली में नवंबर में ही चुनाव कराने की मांग करेंगे।'


2014 में सीएम पद से अचानक इस्तीफा देकर चौंकाया था
साल 2013 में दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के 49 दिन बाद ही अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। केजरीवाल ने जन लोकपाल बिल पर विधानसभा में अल्पमत में रहने पर इस्तीफा दे दिया था। अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार पर रोक के लिए दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किया था, लेकिन विपक्षी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने इसे समर्थन देने से इनकार कर दिया था। भाजपा और कांग्रेस का कहना था कि जनलोकपाल विधेयक को पहले केंद्र सरकार की मंजूरी मिलना जरूरी है। हालांकि केजरीवाल पहले दिल्ली विधानसभा में इस विधेयक को पास कराने पर अड़े रहे। जब वह बिल के पक्ष में जरूरी समर्थन नहीं जुटा पाए और दिल्ली विधानसभा के 70 विधायकों में से 42 विधायकों ने बिल के खिलाफ वोट किया। ऐसे में केजरीवाल ने इस्तीफे का एलान कर सभी को चौंका दिया था। अपना इस्तीफा देते हुए केजरीवाल ने कहा था कि वह देश के लिए एक बार नहीं बल्कि सैंकड़ों बार सीएम पद ठुकरा सकते हैं। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और फिर साल 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। 


दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री हैं अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल (जन्म 16 अगस्त 1968) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व नौकरशाह हैं, जो फरवरी 2015 से दिल्ली के वर्तमान और 7वें मुख्यमंत्री हैं। वे 28 दिसंबर 2013 को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, लेकिन सत्ता संभालने के 49 दिनों के बाद ही उन्होंने जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर फरवरी 2014 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अगले ही साल 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और दिल्ली की 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। 

रेमन मैग्सेसे अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
साल 2006 में, भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सूचना के अधिकार कानून का उपयोग करते हुए जमीनी स्तर पर आंदोलन चलाने के लिए केजरीवाल को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष, सरकारी सेवा से इस्तीफा देने के बाद, उन्होंने एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) 'पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना के लिए अपने मैग्सेसे पुरस्कार में मिले पैसों को दान कर दिया। केजरीवाल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। 2012 में, उन्होंने आम आदमी पार्टी की शुरुआत की और वर्तमान में, वे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। 

एक दशक में बड़ी ताकत के रूप में उभरी आप
भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल का उभार किसी चमत्कार से कम नहीं है। बीते एक दशक में ही केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी भारतीय राजनीति की एक बड़ी ताकत बन गई है और पार्टी ने दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्यों में भी अपने पैर जमा लिए हैं। पंजाब में तो आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज है। अब दिल्ली शराब नीति के कथित घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी अपने अस्तित्व की अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। इस मामले में सीएम केजरीवाल समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं। इस मामले से केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को तगड़ा झटका लगा है और अब केजरीवाल द्वारा अचानक से इस्तीफे के एलान को उसी छवि को बचाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।