अस्थमा सांसों से जुड़ी एक दिक्कत है जो पैदाइशी परेशानी होती है। इसमें
फेफड़ों में ब्रांकिओल्स और वायु मार्ग में सूजन आ जाती है,जिससे वायु
प्रवाह में दिक्कत होती है। इसके कारण सांसे लेने में कठिनाई, थकान,
घरघराहट शामिल है। वहीं सर्दियों के मौसम में अस्थमा के लक्षण बिगड़ जाते
हैं। कई बार अस्थमा का दौरा पड़ जाता है। ठंडी हवा सांस की नलियों में
सूजन पैदा कर सकती है,इससे सांस में रुकावट होती है और सांस लेने में
कठिनाई होती है। यह अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है। बाकी मौसम के
मुकाबले में ठंड में सांसों की नली अधिक संवेदनशील हो जाती है। सर्दियों
में बैक्टीरिया और वायरस अधिक वक्त तक वातावरण में जीवित रहते हैं। इन
पैथोजन्स के संपर्क में आने से अस्थमा के मरीजों में सांस संबंधी संक्रमण
का खतरा बढ़ सकता है। यह अस्थमा के लक्षणों को और बढ़ा सकते हैं। सर्दियों में कुछ खास फूलों का सीजन होता है जिनसे पराग यानी कि पोलन हवा
में फैलता है। यह पराग अस्थमा के मरीजों के लिए बड़ा ट्रिगर हो सकता है। यह
पराग जब श्वसन तंत्र में पहुंचता है तो एलर्जी प्रतिक्रिया शुरू हो सकती
है,जिससे खांसी, घरघराहट और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।