काठमांडू,। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली संसद का शीतकालीन
सत्र बुलाने के बजाय अध्यादेश लाने पर अधिक जोर दे रहे हैं। पिछले हफ्ते
सहकारी बैंक नियमन संबंधी अध्यादेश लाने के बाद अब सरकार दल विभाजन संबंधी
अध्यादेश लाने की तैयारी में है।
यह खुलासा खुद प्रतिनिधि सभा के
स्पीकर देवराज घिमिरे ने किया। सभी दलों के प्रमुख सचेतकों के साथ हुई बैठक
में घिमिरे ने सरकार के इस रुख पर असंतुष्टि जताई है। उन्होंने कहा कि
शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार की उदासीनता ठीक नहीं है। उन्होंने सत्ता पक्ष
के प्रमुख सचेतकों को इसके लिए आगाह भी किया।
घिमिरे ने कहा कि
छोटे दलों को लक्षित कर दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाया जा रहा है। इसलिए
सरकार शीतकालीन सत्र बुलाने से कतरा रही है।
विपक्षी दल माओवादी
पार्टी के प्रमुख सचेतक हितराज पांडे ने कहा कि सरकार दल विभाजन संबंधी
अध्यादेश लाकर मनमानी करना चाहती है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सितंबर में
भी ओली सरकार ऐसी कोशिश कर चुकी है। तब सरकार में शामिल प्रमुख घटक दल
नेपाली कांग्रेस के विरोध के कारण ओली सरकार का मंसूबा पूरा नहीं हो सका।
माना
जा रहा है कि डिप्टी स्पीकर इंदिरा राना को हटाने और निर्वाचन संबंधी कई
कानूनों को बदलने के लिए सरकार दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा छूना चाहती है।
कुछ मुद्दों पर छोटे घटक दलों का साथ न मिलने के कारण विपक्षी दलों में
विभाजन करवाकर दो तिहाई बहुमत पर पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।
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