पूर्वी चंपारण,।चैत्र
नवरात्र पर मां दुर्गा की पूजा और रामनवमी को लेकर चल रही तैयारियों के
बीच मंगलवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय चैती छठ पूजा आज से शुरू हो
गया।छठ को लेकर अहले सुबह से ही व्रती गंडक,बूढी गंडक समेत नदियो और पवित्र
तालाब में स्नान के लिए पहुंचने लगे।
व्रतियों और महिलाओं द्धारा
गाये जा रहे छठ के गीत के साथ ही लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीत गूंज रहे
हैं। करिहा क्षमा हे छठी मईया...बहंगी लचकत जाये जैसे गीतों की गूंज शहर से
लेकर गांवो में सुनाई दे रही है। हालांकि कार्तिक छठ की भांति चैती छठ पर
बड़ी संख्या प्रवासी बिहारी अपने घर नही पहुंचते है,कारण कार्तिक छठ की
भांति चैती छठ हर घर में नहीं होता है।
विद्धानो की माने तो चैती छठ
को मनोकामना पूरक पर्व माना जाता है।आमतौर पर ऐसी धारणा है कि जिनकी
मनोकामना पूरी होती है, वही चैती छठ करते हैं। इस बार लोक आस्था का चार
दिवसीय महापर्व चैती छठ एक अप्रैल से शुरू हुआ है,जो शुक्रवार 4अप्रैल को
उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ समाप्त होगा।
कार्तिक छठ की
भांति चैती छठ का विधान है।जैसे खरना के प्रसाद ग्रहण के बाद व्रती 36 घंटे
का निर्जला अनुष्ठान करेगी। गुरुवार को अस्तचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य
अर्पित किया जायेगा और फिर अगले दिन शुक्रवार को उदीयमान भगवान भास्कर को
जल अर्पित कर महापर्व का समापन होगा।
नहाय खाय के साथ शुरू हुआ चार दिवसीय चैती छठ -गूंजने लगे शारदा सिन्हा के छठ गीत - कल होगा खरना, शुक्रवार को अंतिम अर्घ्य के साथ छठ पर्व का होगा समापन
