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पुरानी कारों की बिक्री पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी, इंश्योरेंस प्रीमियम से जीएसटी घटाने का फैसला टला



नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में उम्मीद के विपरीत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले टैक्स को घटाने के फैसले को फिलहाल टाल दिया गया। हालांकि इस बैठक में पुरानी कारों की खरीद बिक्री पर लगने वाले टैक्स को 12 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया गया। इसके साथ ही थिएटर और मूवी हॉल में नमक मसाले वाले फ्लेवर्ड पॉपकॉर्न पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।

जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत सभी पुराने वाहनों की बिक्री पर टैक्स को बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बन गई। अब पुराने वाहनों की बिक्री पर लगने वाले टैक्स को 12 से बढ़ा कर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, लेकिन टैक्स की दर में हुई ये बढ़ोतरी सिर्फ कंपनियां या डीलर्स द्वारा बेची जाने वाली पुरानी कारों पर ही लागू होगी। व्यक्तिगत रूप से अपनी कार बेचने वाले लोगों पर पहले की तरह 12 प्रतिशत टैक्स ही लगेगा। इसका मतलब ये हुआ कि पुरानी कारों की बिक्री पर लगने वाले टैक्स में बढ़ोतरी होने के प्रावधान से इंडिविजुअल खरीदारों या विक्रेताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके पहले जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमिटी ने भी पुराने वाहनों पर जीएसटी दर को 12 से बढ़ा कर 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।

जीएसटी काउंसिल की बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को घटाने के प्रस्ताव को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया। जीएसटी की दरों पर विचार करने के लिए गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को कम करने की सिफारिश की थी, लेकिन जीएसटी काउंसिल की बैठक में कहा गया कि इस विषय पर और अधिक स्पष्टीकरण की जरूरत है। इसलिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स से अपनी रिपोर्ट को और अधिक व्यापक बनाने तथा अतिरिक्त जानकारी के साथ पेश करने के लिए कहा गया है।

जीएसटी काउंसिल की बैठक में फोर्टिफाइड चावल पर एक समान 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लागू करने के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया गया। इससे पहले फोर्टिफाइड चावल पर उनके उपयोग के हिसाब से अलग-अलग दर से टैक्स की वसूली की जाती थी, जिसके कारण टैक्स कैलकुलेशन में जटिलता का सामना करना पड़ता था।

इसी तरह थिएटर और मूवी हॉल में नमक और मसाले वाले फ्लेवर्ड पॉपकॉर्न पर भी 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने की प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल की बैठक में मंजूर कर लिया गया। हालांकि पॉपकॉर्न पर पांच प्रतिशत की दर से टैक्स तभी वसूला जाएगा, जब वो डिब्बा बंद नहीं होगा। डिब्बा बंद और लेबल्ड पॉपकॉर्न पर 12 प्रतिशत की दर से टैक्स की वसूली की जाएगी। इसी तरह कार्मेल पॉपकॉर्न (चीनी वाले पॉपकॉर्न) पर 18 प्रतिशत की दर से टैक्स लिया जाएगा। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि कार्मेल यानी चीनी वाले पॉपकॉर्न का कैरेक्टर शुगर कन्फेक्शनरी का हो जाता है, इसलिए उस पर शुगर कन्फेक्शनरी के हिसाब से टैक्स की वसूली की जाएगी।