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सहायक आचार्य के अंतिम रिजल्ट का प्रकाशन सितंबर के दूसरे सप्ताह तक कर दिया जाएगा - जेएसएससी ने हाई कोर्ट को प्रस्तुत की समय सीमा





रांची,। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने सहायक आचार्य रिजल्ट के प्रकाशन के संबंध में शपथ पत्र के माध्यम से एक टाइम लाइन झारखंड हाई कोर्ट को प्रस्तुत की। इसमें सितंबर माह के द्वितीय सप्ताह में सहायक आचार्य के अंतिम रिजल्ट का प्रकाशन कर दिया जाएगा।

जेएसएससी की ओर से बताया गया है कि सहायक आचार्य के ग्रेजुएट लेवल ट्रेंड टीचर (कक्षा 6 से 8) के मैथ एवं साइंस टीचर के लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जाएगा। वहीं सोशल साइंस के टीचर के लिए जुलाई के तृतीय सप्ताह में रिजल्ट प्रकाशित होगा और लैंग्वेज टीचर के लिए अगस्त के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट प्रकाशित होगा। इंटरमीडिएट ट्रेंड टीचर (कक्षा 1 से 5) के शिक्षकों के लिए सितंबर के द्वितीय सप्ताह में रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जाएगा। जेएसएससी के इस टाइमलाइन को स्वीकार कर लिया गया। जेएसएससी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पैरवी की।

झारखंड के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर 26,001 सहायक आचार्य की नियुक्ति होनी है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने झारखंड के स्कूलों में सहायक आचार्य की नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी पर नराजगी जताई थी। खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रस्तावित समय-सीमा को जनवरी 2026 को कम करे और सुनिश्चित करें कि शिक्षकों की नियुक्ति दो या तीन महीने के भीतर हो जाए।

दरअसल, 8 अप्रैल को राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 26 हजार सहायक आचार्य की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी। मामले में शपथ पत्र के माध्यम से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के संदर्भ में समय-सीमा प्रस्तुत की थी। प्रस्तावित समय-सीमा के अनुसार, शिक्षकों की नियुक्ति में जनवरी 2026 तक का समय लगने की बात कही गई थी जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और समय सीमा को कम करने को कहा था।

प्रार्थी ने याचिका में झारखंड के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी बताते हुए जल्द शिक्षकों की नियुक्ति करने का आग्रह किया है।याचिका में इस संबंध में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन की मांग की गई है।