रांची। अपर न्यायायुक्त अरविंद कुमार की अदालत ने शनिवार को
दहेज के खातिर बहू की हत्या के आरोप में 26 साल बाद कोतवाली थाना के
तत्कालीन दारोगा बिहार के भोजपुर जिला निवासी रामप्रशण दुबे, उनकी पत्नी
ललिता देवी और बेटे काशीनाथ दुबे को दोषी पाकर उम्र कैद की सजा सुनाई है।
साथ ही तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है।
साजिश रचकर अपनी बहू की
हत्या करने के आरोप में चार मई 1998 को डोरंडा थाने में कांड संख्या
111/1998 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। उस समय रामप्रशण दुबे रांची
कोतवाली थाने में पदस्थापित थे। प्राथमिकी के बाद अपने प्रभाव से केस काफी
दिनों तक किसी न किसी कारण से लंबित चला आ रहा था। साल 2014 में मामला खुला
और उसमें सेशन नंबर बैठाकर आगे की सुनवाई के लिए सेशन कोर्ट भेज दिया गया।
जहां तीनों पर 24 जुलाई 2015 को दहेज हत्या और साजिश रचने के आरोप में
आरोप गठित किया गया था।
नवविवाहित की हत्या उसका गला दबाकर की गई
थी। इस दहेज हत्या को लेकर दारोगा रामप्रशण दुबे का छोटा बेटा जो उस समय 10
साल का था, उसके बयान पर डोरंडा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हालांकि इस मामले में वह भी उस समय रिमांड होम भेजा गया था। मामले में
सुनवाई के दौरान मृतिका की मां, पिता, बहन, बहनोई समेत 11 गवाहों को
प्रस्तुत किया गया था। इसमें मामले के सूचक दारोगा के बेटे की भी गवाही
दर्ज की गई है। मामले में प्राथमिकी के 12 साल बाद सितंबर 2011 में
आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। चार्जशीट में दहेज हत्या,
हत्या और साजिश रचने का आरोप पाया गया था।