रामगढ़। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज भी अपने विचारों से देश
का मार्गदर्शन कर रहे हैं। आज उनकी पुण्यतिथि हम मना रहे हैं । लेकिन वे आज
भी हमारे दिलों में जिंदा है। यह बातें गुरुवार को रामगढ़ दामोदर नदी तट
पर स्थित मुक्ति धाम गांधी स्मारक में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में डीसी
चंदन कुमार ने कही। डीसी ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने मरने से पहले एक
बात कही थी। ''तुम मुझे तो मार दोगे, लेकिन मेरे विचारों को कैसे मरोगे''।
उनकी यह पंक्तियां आज भी लोगों के कानों में गूंजती हैं। महात्मा गांधी के
निधन के बाद देश में समाजवाद के कई सिद्धांत समाज में आए। लेकिन गांधीवाद
आज भी सबसे ऊपर है। डीसी चंदन कुमार ने बताया कि गांधी जी की आत्मकथा
''मेरा जीवन, सत्य का प्रयोग'' यह आम इंसानों को सोचने पर मजबूर कर देती
है। जब जीवन में गंभीर संघर्ष चल रहा हो, तब आप गांधी जी की जीवनी को
पढ़ें। आपको एक नया मार्ग मिलेगा। डीसी ने इस मौके पर डीएमएफटी फंड से
गांधी द्वार बनाने की घोषणा की। सभी अधिकारियों की मौजूदगी में योजना का
शिलान्यास किया गया।
महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर विधायक ममता
देवी, डीसी चंदन कुमार, एसपी अजय कुमार, जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी
रविंद्र कुमार गुप्ता अन्य अधिकारियों के साथ मुक्तिधाम पहुंचे। यहां
उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
महात्मा गांधी
के निधन के बाद उनका अस्थि कलश देश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किया गया
था। उनमें रामगढ़ भी शामिल है। रामगढ़ दामोदर नदी तट के किनारे महात्मा
गांधी का
अस्थि कलश स्थापित कर आज भी उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती
है। सन 1940 में कांग्रेस के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में महात्मा
गांधी ने भाग लिया था। उस वक्त भारी बारिश की वजह से उन्हें रामगढ़ में ही
रुकना पड़ा था। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
की थी।
इस मौके पर समाजसेवी प्रवीण लोहिया को सम्मानित किया गया
कार्यक्रम में कमल बगड़िया और उनके साथियों के द्वारा श्रद्धांजलि गीत पेश
किए गए।