रांची,। झारखंड की राजमहल लोकसभा सीट पर एक जून को मतदान होना है।
यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट
समझे जाने वाली इस सीट पर बाद में झामुमो ने सेंध लगायी। इस बार यहां भाजपा
और इंंडी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है लेकिन दिशोम गुरु
शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन के जेएमएम से इस्तीफा और राजमहल में
झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम की एंट्री से इंडी गठबंधन को बड़ा झटका लग सकता
है।
झामुमो का लगातार दो बार रहा कब्जा
भाजपा ने राजमहल
लोकसभा सीट से बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी को प्रत्याशी बनाया है।
ऐसे में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मोदी लहर के सहारे चुनावी नैया पार
करने की जुगत में हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन तीसरी बार जीत दर्ज
करने की तैयारी में है। झामुमो ने निवर्तमान सांसद विजय हांसदा पर तीसरी
बार भरोसा जताया है। इससे पहले विजय हांसदा 2014 और 2019 के चुनाव में जीत
दर्ज कर चुके हैं। झामुमो बागी विधायक लोबिन हेंब्रम के चुनावी अखाड़े में
कूदने से राजमहल का मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा काफी चर्चा में रहा
राजमहल
लोकसभा क्षेत्र वैसे तो एक आदिवासी बहुल इलाका है लेकिन यहां लंबे समय से
अवैध तरीके से बांग्लादेशियों के घुसपैठ का मुद्दा काफी चर्चा में रहा है।
हाल के दिनों में यह आदिवासी जमीन के कब्जे के मामले में भी सुर्खियों में
रहा है। इसके अलावा पलायन भी इस इलाके का अहम मुद्दा है। क्षेत्र में मानव
तस्करी का मुद्दा भी जोर-शोर से उठता रहा है।
हाल के दिनों में
राजमहल लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले बोरियो, बरहेट और पतना जैसे इलाकों
से मानव तस्करी के कई मामले आये हैं। इस पर रोकथाम बहुत बड़ी चुनौती है।
अवैध खनन के मामले भी चुनाव के मुद्दे के रूप में समाने आ रहे हैं। इसके
अलावा राजमहल को पश्चिम बंगाल से जोड़ने के लिए गंगा नदी पर पुल के निर्माण
की मांग वर्षों से उठती रही है। यही हाल साहिबगंज रेलखंड का भी है। देश की
सबसे पुरानी रेल खंडों में शुमार होने के बावजूद इसका अब तक अपेक्षित
विकास नहीं हो सका है।
राजमहल विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की मजबूत पैठ
राजमहल
विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की मजबूत पैठ है। इस क्षेत्र की बड़ी जनसंख्या
गांवों में रहती है। इस सीट पर जनजीवन बेहद ही सामान्य है। पश्चिम बंगाल
से सटे होने के कारण यहां बंगाली भाषी लोगों का भी बड़ा प्रभाव रहा है। साथ
ही यहां अल्पसंख्यकों और ईसाई मिशनरी का प्रभाव भी है। राजमहल लोकसभा
क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा साहिबगंज और पाकुड़ जिले में पड़ता है। सुंदर
पहाड़ी का इलाका गोड्डा जिला और गोपीकांदर का इलाका दुमका जिला में पड़ता
है।
विजय हांसदा के लिए चुनौती बन रहे लोबिन हेंब्रम
राजमहल
संसदीय क्षेत्र अंतर्गत बोरियो विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व झामुमो
विधायक लोबिन हेंब्रम कर रहे हैं। इस लोकसभा चुनाव में अपने ही पार्टी के
उम्मीदवार के खिलाफ वे चुनाव मैदान में खड़े है। ऐसे में झामुमो को पार्टी
के भीतर से ही चुनैती मिल रही है। लोबिन के साथ झामुमो के वैसे
कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह है, जो पार्टी के लिए लड़ता रहा लेकिन पार्टी
ने कभी उन्हें तरजीह नहीं दी। जमीन की हेराफेरी के खिलाफ लोबिन अपनी ही
सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी। लोबिन को
निवर्तमान सांसद विजय हांसदा के खिलाफ लोगों की नाराजगी का लाभ मिल सकता
है।
ताला मरांडी के सामने हैं कई चुनौतियां
ताला मरांडी के
सामने जीत के लिए जी-तोड़ मेहनत, नाराज चल रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को
एकजुट करने के साथ ही खासकर राजमहल, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर विधानसभा
क्षेत्रों में निकटतम प्रतिद्वंद्वी से काफी अंतरों से जीत हासिल करने की
सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि, यही तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जहां ताला
मरांडी ने काफी मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे धकलने में
कामयाबी हासिल की तो संसद पहुंचने का उनका रास्ता साफ हो जाएगा। अब तो चार
जून को ही पता चलेगा कि राजमहल की जनता किसके पक्ष में रही।