महाकुम्भनगर। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 कई मायनों में खास होने जा रहा
है। महाकुम्भ में पहली बार विश्व हिन्दू परिषद की ओर से 10 फरवरी से तीन
दिवसीए बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत के
अलावा दुनिया के कई देशों के बौद्ध भंते व बौद्ध लामा बड़ी संख्या में
शामिल होंगे।
विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर-राष्ट्रीय संगठन
महामंत्री महामंत्री मिलिंद परांडे ने बताया कि कुम्भ आध्यात्मिक एकत्रीकरण
का स्थान है। शैव, जैन, सिख, बुद्ध इन सभी परम्पराओं का जन्म इसी
पुण्यभूमि में हुआ है। आपस में अलग-अलग परम्पराओं के संतों का मिलना जुलना
यह सामान्य प्रक्रिया है। संघर्ष के कालखण्ड में यह चर्चा बंद हो गयी थी।
पहले भी विहिप के सम्मेलनों में बौद्ध धर्मगुरू पूज्य दलाईलामा आते रहे
हैं। इस बार भी उनके प्रतिनिधि उनका संदेश लेकर आयेंगे। मिलिंद परांडे ने
बताया कि बौद्ध सम्मेलन में अलग-अलग बौद्ध परम्पराओं के भारत के अलावा
रूस, अमेरिका, जर्मनी, इटली, कोरिया, थाईलैंड, वर्मा, तिब्बत, नेपाल व
श्रीलंका समेत कई देशों के बौद्ध भंते और लामा यहां आ रहे हैं।
विहिप के इतिहास में पहली बार हो रहा बौद्ध सम्मेलन
विश्व
हिन्दू परिषद स्थापना काल से हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन करती आ रही है।
1966 में प्रयागराज कुंभ के अवसर पर प्रथम विश्व हिन्दू सम्मेलन आयोजित
किया गया था। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री
गुरुजी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप चारों शंकराचार्यों सहित हिंदू
समाज के विभिन्न संप्रदायों के धर्माचार्य, साधु-संत आदि एक मंच पर आए थे।
इस सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
इसके बाद प्रयाग में जब भी कुंभ व अर्धकुम्भ लगे विहिप की ओर से हिन्दू
सम्मेलन आयोजित किये गये। यह बात अलग है कि हिन्दू सम्मेलन में बौद्ध भंते
शामिल होते रहे हैं। इस बार महाकुंभ में पहला यह अवसर है जब बौद्ध सम्मेलन
आयोजित किया जा रहा है।