देहरादून। उत्तराखंडवासियों के लिए सोमवार का वह पल गौरव करने
वाला रहा, जब अयोध्या में विराजमान भगवान श्रीरामलला का दिव्य विग्रह
देवभूमि की विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम से सुशोभित हुआ ।
यह शुभवस्त्रम न केवल उत्तराखंड की पारंपरिक कला और समर्पण का प्रतीक रहा,
बल्कि इसने राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि का राष्ट्रीय पटल पर एक और
गौरवशाली अध्याय जोड़ा।
इन वस्त्रों को उत्तराखंड के कुशल
शिल्पकारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से तैयार किया।
स्वयं मुख्यमंत्री ने इन्हें अयोध्या पहुंचाकर श्रीराम मंदिर में भेंट
किया। शुभवस्त्रम में न केवल प्रदेश की ऐपण कला नजर आती है बल्कि इसमें
निहित भक्ति और श्रम साधकों की अद्वितीय शिल्पकला का अद्भुत समन्वय भी है,
जिसने उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि को और अधिक प्रखर बना दिया।
मुख्यमंत्री
धामी के गतिशील नेतृत्व में प्रदेश की लोक कला, संगीत, नृत्य और शिल्पकला
के संवर्धन की दिशा में भी अनेक ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी
न केवल राज्य के स्थानीय हस्तशिल्प और कारीगरों को प्रोत्साहित कर रहे
हैं, बल्कि राज्य के युवाओं को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने और इसे
संजोने की प्रेरणा दे रहे हैं।
उत्तराखंड की पारंपरिक कला और
संस्कृति की गूंज अब अंतरराराष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई देने लगी है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में उत्तराखंड की लोक कलाओं को प्रमुखता से
प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे राज्य को वैश्विक पहचान और सम्मान मिल रहा
है। मुख्यमंत्री धामी का मानना है कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों का
संरक्षण और संवर्धन आधुनिक संसाधनों और तकनीकों के साथ होना चाहिए ताकि यह
अमूल्य विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे।
मुख्यमंत्री
धामी का दृढ़ विश्वास है कि राज्य का समग्र विकास तभी संभव है जब उसकी
सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों। इसलिए युवाओं को डिजिटल माध्यम और सोशल
मीडिया के जरिए संस्कृति से जोड़ा जा रहा है। सांस्कृतिक संस्थानों और कला
संगठनों के सहयोग से युवाओं को पारंपरिक कलाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा
है, जिससे वे अपनी संस्कृति पर गर्व करें और इसे और आगे बढ़ा सकें।