हमीरपुर। बुंदेलखंड में रेकार्ड तोड़ बरसात होने के बाद भी यहां
मौदहा डैम पानी से लबालब नही हो सका। जबकि आसपास के इलाकों के तमाम डैमों
को गेट खोलकर पानी डिस्चार्ज करना पड़ रहा है। फिलहाल सिंचाई डिपर्टमेंट ने
मौदहा डैम को भरने के लिए अर्जुन सहायक नहर जरिए लहचुरा डैम से पानी
डिस्चार्ज किया जा रहा है।
बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में साढ़े चार
दशक पहले सूखा पडऩे से किसानों को बड़ा झटका लगा था। पूरे क्षेत्र में
सिंचाई के पानी को लेकर किसानों ने जोरदार प्रदर्शन कर हंगामा किया था। उस
जमाने में हमीरपुर जिले में सिंचाई के कोई संसाधान भी नहीं थे। हमीरपुर और
महोबा के खेतीबाड़ी करने वाले किसानों को सरकार ने बड़ी सौगात देते हुए
मौदहा डैम बनवाए जाने का फैसला किया था। वर्ष 1976-77 में हमीरपुर जिले के
मुस्करा क्षेत्र के बसौठ गांव के नजदीक मौदहा डैम के निर्माण के लिए
शिलान्यास किया गया था। एक अरब सत्रह करोड़ रुपये की लागत से मौदहा डैम का
निर्माण प्रारम्भ कराया गया था जो दो दशक में ही बनकर तैयार हो गया था।
मौदहा बांध निर्माण खंड के अधिशाषी अभियंता करन पाल गंगवार ने बताया कि यह
डैम विरमा नदी की जद में बना है। यह नदी बहुत ही छोटी है जिससे डैम बारिश
के मौसम में भी नही भर पाता है। बताया कि इस डैम से हमीरपुर और आसपास के
इलाकों की उनतीस हजार से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का पानी मिलता
है।
विरमा नदी में बने कई दशकों पुराना डैम हर साल रबी के सीजन में दे जाता है धोखा
हमीरपुर
जिले में विरमा नदी की जद में बना मौदहा डैम रबी के सीजन में दगा दे जाता
है। इस डैम के साथ ही ग्यारह दर्रों का स्पिलवें निर्मित है जिसकी क्षमता
चार लाख क्यूसेक है। बाढ़ के मौसम में फालतू पानी की इसी स्पिलवें से निकासी
होती है। इसके साथ ही अंठानवें किमी मुख्य नहर और शाखाएं निकली है। चार
छप्पन किमी डैम की वितरण प्रणाली भी है। मौदहा बांध निर्माण खंड के अधिशाषी
अभियंता ने बताया कि पहले मौदहा डैम में पानी का लेवल छप्पन एमपीएम था
लेकिन अर्जुन सहायक नहर जरिए लहचुरा डैम से छोड़े गए पानी से मौदहा डैम का
अब लेवल दो सौ एमपीएम पानी हो गया है।
लहचुरा डैम से डिस्चार्ज पानी अर्जुन सहायक नहर जरिए पानी से भरा मौदहा डैम
तीन
सौ अड़तालीस किमी लम्बे और बाइस मीटर ऊंचे मौदहा डैम की क्षमता मौजूदा में
बहुत ही कम है। इस साल बुंदेलखंड और आसपास के इलाकों में झमाझम बारिश हुई
लेकिन ये डैम पानी किसी को पानी नहीं डिस्चार्ज किया जा सका। जबकि लहचुरा
समेत तमाम डैम लगातार बारिश से उफना गए थे। मौदहा डैम को पानी से भरने के
लिए लहचुरा डैम के तीन गेट खोलकर अर्जुन फीडर नहर में छोड़ा गया। अर्जुन
फीडर नहर से विरमा नदी में पानी डिस्चार्ज कर मौदहा डैम को भरा गया है।
इसके अलावा चन्द्रावल और कबरई डैम को भी अर्जुन सहायक नहर जरिए पानी से इस
बार भरा गया है।
रिकार्ड तोड़ बरसात होने के बाद भी मौदहा डैम रहा खाली अर्जुन सहायक नहर जरिए लहचुरा डैम से मौदहा डैम की बदल गई सूरत
