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नोवामुंडी माइंस को सात सितारा रेटिंग, हरित ऊर्जा में बनी मिसाल


पश्चिम सिंहभूम, । जिले की नोवामुंडी आयरन ओर माइंस अब केवल लौह अयस्क उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी पहचान बना रही है। टाटा स्टील ने यहां देश की पहली ऐसी लौह अयस्क खान विकसित की है, जहां बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। वर्ष 2017 में शुरू हुआ यह संयंत्र आज खनन उद्योग में सतत विकास का आदर्श बन चुका है। बुधवार को यह जानकारी टाटा स्टील के महाप्रबंधक अतुल भटनागर ने साक्षात्कार के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि सतत खनन की दिशा में नोवामुंडी माइंस को लगातार मान्यता मिल रही है। भारतीय खनिज ब्यूरो (आईबीएम) ने इसे पिछले सात वर्षों से लगातार पांच सितारा रेटिंग प्रदान की है, वहीं इस वर्ष इसे सात सितारा रेटिंग भी हासिल हुई है। खदान परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है और मॉड्यूल की सफाई के लिए पानी का पुनः उपयोग किया जा रहा है।

सौर ऊर्जा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भटनागर ने कहा कि आज इसकी आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। इसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटती है। साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों तक बिजली पहुंचाना भी संभव हो पाता है। यह पहल न केवल वर्तमान ऊर्जा जरूरतों को पूरा करती है बल्कि उज्ज्वल भविष्य की दिशा में भी एक अहम कदम है।

नोवामुंडी क्षेत्र में यह परियोजना 19 एकड़ भूमि में फैली हुई है और इसे टाटा पावर सोलर की ओर से स्थापित किया गया है। यहां से उत्पादित बिजली का उपयोग टाटा स्टील करती है, जिससे खदान और टाउनशिप की ऊर्जा आवश्यकताओं को हरित स्रोत से पूरा किया जा रहा है। टाउनशिप में हर वर्ष लगभग 41 लाख यूनिट बिजली की खपत की जा रही है।

इस सौर संयंत्र से हर साल लगभग 3200 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी दर्ज की जा रही है। पर्यावरणीय दृष्टि से यह प्रयास न केवल खनन क्षेत्र बल्कि समाज और भविष्य के लिए भी सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम साबित हो रहा है।