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अपनी मेहनत से बागवानी में गढ़ाटोली के यदु दंपती ने बनाई अलग पहचान





खूंटी, । परिश्रम से सफलता अवश्य मिलती है और इसे साबित कर दिखाया है पिछड़े एवं जनजातीय बहुल रायसेमला गढ़ाटोली गांव के यदु भेंगरा और उनकी धर्मपत्नी अनीता भेंगरा ने। यह दंपति अपनी मेहनत और लगन के कारण न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना है बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणाश्रोत है।

यदु भेंगरा नें लगभग दो एकड़ खेत में आम की बागवानी की है, जिसमें आम्रपाली, मल्दा, गुलाब, खस जैसे आम के पौधे लगे हुए हैं। पूरे बगान में केला के अलावा कटहल के कई पेड़ हैं, जो इन दिनों फलों से लदे हैं। यदु बताते हैं कि उन्होंने एक एकड़ में मिर्ची, अदरख आदि की खेती की हैं। वे वर्षभर खेती करते हैं और साल भर में लगभग 80 हजार रुपये की कमाई कर लेते हैं। बागवानी के अलावा वे धान और गेहूं की फसल भी उगाते हैं। इसकी आमदनी अलग होती है।

यदू भेंगरा बताते हैं कि तीन एकड़ की बागवानी में वे कभी मजदूर नहीं लगाते। सिर्फ पति-पत्नी ही सारा काम करते हैं। सुबह घरेलू काम निपटाने और बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने के बाद दोनों दंपति अपने बगान में पहुंच जाते हैं और शाम तक खेत में काम करते हैं। सभी कृषि उत्पादों को दोनों स्थानीय बाजार या हाट में बेचने के लिए ले जाते हैं। मजदूरी का भुगतान नहीं करने से उन्हें बचत हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी कॉलेज में पढ़ती है, जबकि बेटा अभी स्कूल में है।

यदु ने बताया कि वे अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं। उनके माता-पिता का देहांत उसी समय हो गया था, जब यदु काफी कम उम्र के थे। इसके कारण वे पढ़-लिख नहीं सके। बहुत पहले उन्हें सरकार की ओर से पेयजल के लिए एक कूप दिया गया था। उसी कुएं से वे खेत की सिंचाई करते हैं। सरकार की ओर से एक सिंचाई कूप और मिल जाता तो वे और बड़े पैमाने पर खेती करते। कुछ दिन पहले उसके खेत में एक तालाब बनवाया गया है, पर इसका निर्माण काफी घटिया है। तालाब की गहारई बहुत कम होने के कारण पानी जमा नहीं हो पाता। तालाब खोदे जाने के कारण उनका खेत बर्बाद हो गया। सरकार से सिंचाई के लिए मोटर पंप और पाइप मिल जाए तो वे अधिक खेत में बागवानी कर सकते हैं, पर सिंचाई की सुविधा न होने से वे कुछ कर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार की ओर से गांव के किसानों को उन्नत कृषि का प्रशिक्षण दिया जाए और खेती के लिए संसाधनों के अलावा उन्हें बैंकों से अनुदान पर पूंजी उपलब्ध कराई जाए।