वाराणसी,। वासंतिक चैत्र नवरात्र के पहले दिन रविवार को श्री काशी
विश्वनाथ के पावन ज्योतिर्लिंग का शक्तिपीठ माता विशालाक्षी दरबार से आए
नौ कलश गंगाजल से जलाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच किया गया। नौ कलश
गंगाजल से श्री विश्वेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के बाद उनका
विधिवत अर्चकों ने आराधना की।
इसके बाद शिव के धाम से शक्ति के पर्व पर सत्य सनातन के सर्वत्र सनातन होने की कामना बाबा से की गई।
गौरतलब
हो कि वासंतिक चैत्र नवरात्र की पूर्व संध्या पर शनिवार शाम श्री काशी
विश्वनाथ दरबार से श्रृंगार और वस्त्र सामग्री शक्तिपीठ माता विशालाक्षी के
दरबार में अर्पित की गई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के प्रतिनिधियों
ने शास्त्री गण के साथ मिलकर समस्त श्रृंगार और वस्त्र सामग्री को
समारोहपूर्वक बाबा विश्वेश्वर को अर्पित किया। तत्पश्चात सामग्री को माता
काशी विशालाक्षी शक्तिपीठ और नवदुर्गा स्वरूप मंदिरों में भेजने की
व्यवस्था की गई। इसके बाद शाम को ही शक्तिपीठ मां विशालाक्षी के दरबार से
नौ कलश गंगाजल श्री काशी विश्वनाथ को अर्पित किए गए।
चैत्र प्रतिपदा
को प्रातःकाल मंगला आरती के पश्चात, सबसे पहले माता काशी विशालाक्षी
द्वारा प्रेषित नौ कलश गंगाजल से भगवान विश्वनाथ का जलाभिषेक किया गया।
मंदिर न्यास के अफसरों के अनुसार वर्ष 2024 की चैत्र नवरात्र में शुरू किए
गए शास्त्रीय नवाचार ने धार्मिक परंपराओं में एक नई दिशा प्रदान की थी। इस
नवाचार के तहत नवरात्र के नौ दिनों में प्रतिदिन भगवान श्री विश्वेश्वर
द्वारा श्रृंगार सामग्री और वस्त्र माता विशालाक्षी को अर्पित किए गए थे।
इस नवाचार को इस वर्ष भी निभाया गया।
चैत्र नवरात्र : मां विशालाक्षी के दरबार से आए नौ कलश गंगाजल से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक
