कोलकाता,। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने पार्टी
सुप्रीमो ममता बनर्जी की राजनीतिक सफलता की तुलना नेताजी सुभाष चंद्र बोस
से की है। घोष ने कहा कि ममता बनर्जी ने एक लोकप्रिय राजनीतिक पार्टी बनाने
में सफलता पाई, जो नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) जैसा ऐतिहासिक व्यक्तित्व भी
संसदीय राजनीति में हासिल नहीं कर पाए थे।
नेताजी ने 1939 में
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया था,
लेकिन वे इसे संसदीय राजनीति में प्रभावशाली पार्टी के रूप में स्थापित
नहीं कर सके।
कुणाल ने कहा कि वह एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण
स्वतंत्रता सेनानी हैं, लेकिन पार्टी बनाने के बाद संसदीय राजनीति में सफल
नहीं हो पाए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस छोड़ने के बाद किसी का सफल
राजनीतिक दल बनाना दुर्लभ है।
घोष ने कांग्रेस पर ममता बनर्जी की
संघर्षशीलता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उनका मानना है कि इसी कारण
1997 में ममता बनर्जी को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने
कहा कि बंगाल के लोगों ने इस निर्णय को अस्वीकार कर दिया, जिससे तृणमूल
कांग्रेस के गठन का रास्ता खुला।
घोष ने कहा कि ममता बनर्जी को
कांग्रेस से निष्कासन बंगाल के लोगों ने स्वीकार नहीं किया, और इसलिए
उन्होंने उनकी पार्टी को वह पहचान दी जिसकी वह हकदार थीं।
यह बयान
ऐसे समय आया है जब राज्य के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने
हाल ही में कहा कि ममता बनर्जी के निष्कासन ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस
को कमजोर कर दिया। भट्टाचार्य ने खुलासा किया कि यह निर्णय तत्कालीन प्रदेश
कांग्रेस अध्यक्ष सोमन मित्रा ने एआईसीसी प्रमुख सीताराम केसरी के निर्देश
पर लिया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस फैसले का विरोध किया था, लेकिन
पार्टी नेतृत्व का दबाव बहुत अधिक था। भट्टाचार्य ने ये बातें कोलकाता में
सोमन मित्रा की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहीं। मित्रा का निधन 2020 में
हुआ था।
ममता बनर्जी, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
के रूप में तीसरे कार्यकाल में हैं, ने 2011 में तृणमूल कांग्रेस को
ऐतिहासिक जीत दिलाई और माकपा-नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 34 साल के शासन का
अंत किया।
कुणाल ने कहा -ममता बनर्जी नेताजी से भी अच्छी नेता, पार्टी को दिलाई है बड़ी सफलता
