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ओबीसी को लेकर गलत जानकारी दे रही है ममता बनर्जी सरकार, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे शुभेंदु अधिकारी




कोलकाता, । पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह इस मामले को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। अधिकारी का दावा है कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण की नई समीक्षा के नाम पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है।

राज्य सरकार ने 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में वादा किया था कि वह पश्चिम बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की नई पहचान के लिए एक सर्वेक्षण करेगी और इसे तीन महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। यह सर्वेक्षण तब शुरू किया गया जब राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया गया था।

मीडिया से बात करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेने से पहले ही सर्वेक्षण शुरू कर दिया था। उन्होंने इसे एक "सुनियोजित देरी" करार दिया, जिसका मकसद एक खास मजहबी समुदाय को फायदा पहुंचाना है। अधिकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया की जटिलताओं के चलते लाखों सरकारी पदों पर नियुक्तियां अनिश्चित हो गई हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार संविधान, संसद और न्यायपालिका का सम्मान नहीं करती है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति वाम मोर्चा सरकार के दौरान शुरू हुई थी, जब एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया गया था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने इसे और आगे बढ़ाया है।

शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि हाल ही में ओबीसी सूची में 113 नए समुदायों को जोड़ा गया, जिनमें से केवल चार हिंदू समुदायों से थे, जबकि बाकी 109 एक विशेष धार्मिक समुदाय से थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक "काल्पनिक और मनगढ़ंत" सूची तैयार कर रही है।