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पुराने कोलकाता की झलक दिखा रहा खड़गपुर का तालबगीचा दुर्गापूजा पंडाल


खड़गपुर,  । पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक राजधानी कहलाने वाले कोलकाता की झलक इस वर्ष खड़गपुर के तालबगीचा रथतला मैदान स्थित दुर्गापूजा पंडाल में दिखाई दे रही है। इस वर्ष पंडाल का विषय “सत्तर के दशक का पुराना कोलकाता” रखा गया है, जिसे खड़गपुर के प्रतिभाशाली कलाकारों ने साकार कर श्रद्धालुओं को अतीत की यात्रा पर पहुंचा दिया है।

पंडाल में हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे, चलती हुई ट्राम और उस युग के जीवंत दृश्य प्रदर्शित किए गए हैं, जहां लोग अपने-अपने पारंपरिक व्यवसायों में रमे हुए हैं। इन कलात्मक प्रतिमानों के बीच से जब श्रद्धालु माता दुर्गा के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं, तो उन्हें ऐसा अनुभव होता है मानो वे भक्ति और इतिहास के अद्भुत संगम से गुजर रहे हों।

खड़गपुर, जो केवल उद्योग और शिक्षा नगरी (आईआईटी खड़गपुर) के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी गहरी सांस्कृतिक धारा के लिए भी विख्यात है, यहां की दुर्गापूजा सदैव विशेष पहचान रखती है। तालबगीचा पंडाल वर्षों से अपनी आध्यात्मिकता और अद्वितीय थीम के कारण पूरे जिले और राज्य में प्रसिद्ध रहा है।

स्थानीय समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि इस बार की प्रस्तुति का उद्देश्य नई पीढ़ी को यह संदेश देना है कि दुर्गापूजा केवल आस्था और शक्ति की आराधना ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जीवन की जीवंत अभिव्यक्ति भी है।

श्रद्धालुओं का मानना है कि तालबगीचा पंडाल में प्रवेश करते ही वातावरण में मां दुर्गा की दिव्य आभा और पुराने कोलकाता की संस्कृति का स्पंदन एक साथ महसूस हो रहा है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है यही खड़गपुर की विशेषता है—जहां आधुनिकता और परंपरा दोनों का संगम दिखाई देता है।