टोक्यो जापान ने ताइवान को लेकर चीन के साथ तेज हो रहे विवाद को
कम करने के लिए चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का फैसला किया है।
जापान
के मीडिया रिपाेर्टाें में साेमवार यहां प्रकाशित एक रिपार्ट के अनुसार
जापानी विदेश मंत्रालय के एशिया और ओशिनिया ब्यूरो के महानिदेशक मासाआकी
कनाई इस सप्ताह चीन की राजधानी बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष लिउ जिनसोंग से
मिलेंगे।
दाेनाें देशाें के बीच यह विवाद तब भड़का जब
प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची ने इस महीने की शुरुआत में जापानी सांसदों को
बताया कि ताइवान पर चीनी हमला जापान के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है
और उसके जवाब में सैन्य प्रतिक्रिया दी जा सकती है। हालांकि जापान की पिछली
सरकारें इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने से बचती रहीं ताकि चीन को
उकसाया न जाए, जो स्वशासित द्वीप पर अपना दावा करता है।
इस
बीच मीडिया खबराें के मुताबिक संभावना है कि बैठक में कनाई के
प्रधानमंत्री ताकाइची की टिप्पणी का स्पष्टीकरण देंगे कि प्रधानमंत्री का
बयान जापान की सुरक्षा नीति में किसी बदलाव का परिचायक नहीं है और चीन से
संबंधों को और नुकसान पहुंचाने वाले कदमों से बचने का आग्रह करेंगे।
जापान के मुख्य मंत्रिमंडल सचिव ने नियमित प्रेस ब्रिफिंग में कनाई की
संभावित चीन यात्रा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बाबत 'विभिन्न
संचार चैनल खुले हुए हैं और बातचीत हाे रही है।'
ताइवान जापान के
सबसे पश्चिमी द्वीपों से महज 110 किलोमीटर (68 मील) दूर स्थित है और
महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास है। इन्हीं मार्गाें पर जापान तेल और
गैस की आपूर्ति के लिए निर्भर है।
जापान अमेरिकी सैन्य शक्ति का भी सबसे बड़ा केंद्र भी है जो अमेरिका के बाहर स्थित है।
कनाई
ने चीन की अपने नागरिकाें काे जापान की यात्रा से बचने संबधी परामर्श का
उल्लेख करते हुए कहा, “यह रणनीतिक और आपसी लाभकारी संबंध को बढ़ावा देने की
व्यापक दिशा के अनुरूप नहीं है। हमने चीनी पक्ष से उचित कदम उठाने का दृढ़
अनुरोध किया है।”
जापानी प्रधानमंत्री ताकाइची को इस सप्ताह के अंत
में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन के
प्रधानमंत्री ली कियांग से सीधे बात करने का मौका मिल सकता है, जहां दोनों
की उपस्थिति की उम्मीद है।
उधर ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने
न्यू ताइपेई में सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि चीन जापान पर “बहुआयामी
हमला” कर रहा है। उन्हाेंने कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सतर्क
रहने का आह्वान करता हूं और चीन से भी संयम बरतने तथा एक महाशक्ति के
अनुरूप आचरण करने का आग्रह करता हूं। उसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के
लिए परेशानी पैदा करने से बना चाहिए।”
चीन और जापान के बीच यह
विवाद सात नवंबर को ताकाइची की टिप्पणी के साथ भड़का, जो उनकी चीनी नेता शी
जिनपिंग से मुलाकात के एक सप्ताह बाद आई थी। बैठक में उन्होंने चीन के साथ
स्थिर संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
तकाइची के बयान के
अगले ही दिन चीन के ओसाका में महावाणिज्य दूत शुए जियान ने एक्स पर
'अब-हटा दिए गए पोस्ट' में कहा, “जो खुली गर्दन काे बीच में डालता है , उसे
काट देना चाहिए।” चीनी राजनयिक ने ताकाइची को “दुष्ट चुड़ैल” कहा था।
जापान ने “अत्यंत अनुचित” बयान पर चीन के राजदूत को तलब किया जबकि कई जापानी राजनेताओं ने शुए के निष्कासन की मांग की।
बाद
में इस विवाद ने गुरुवार को उस समय और तूल पकड़ा जब चीन ने दो साल से अधिक
समय में पहली बार जापान के राजदूत को तलब किया और ताकाइची की टिप्पणियों
पर “कड़ा विरोध” दर्ज किया।
गत शुक्रवार को, चीन ने कहा कि ताइवान
पर हस्तक्षेप करने पर जापान को “कुचलने वाली” सैन्य हार का सामना करना
पड़ेगा । उसने जापान की सुरक्षा की दिशा पर “गंभीर चिंताएं” जताईं, जिसमें
उसके तीन गैर-परमाणु सिद्धांतों पर अस्पष्टता शामिल है जाे परमाणु हथियार
विकसित न करना, न रखना और न 'होस्ट' करना जैसे सिद्धांतों पर टिकी है।
इस
बीच जापान में अमेरिका के राजदूत जॉर्ज ग्लास भी इस विवाद में कूद पड़े
हैं। एक्स पर शुए की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए उन्हाेंने कई
टिप्पणियां पोस्ट कीं। शनिवार को अपनी नवीनतम पोस्ट में उन्होंने कहा कि अब
आगे बढ़ने का समय है, और हेलोवीन बीत चुका है।
चीनी सरकारी मीडिया
ने भी सोमवार को ताकाइची पर निशाना साधा। कम्युनिस्ट पार्टी के पीपुल्स
डेली ने संपादकीय में कहा, “ताकाइची की खतरनाक टिप्पणियां, जो सभी पक्षों
की संवेदनशीलताओं को छूती हैं, न केवल रणनीतिक लापरवाही थीं, बल्कि
जानबूझकर उकसावा भी।”
यदि विवाद लंबा खिंचता है, तो जापान काे चीनी पर्यटकों की कमी से महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हो सकता है।
जापान, ताइवान पर चीन के साथ बढ़ते विवाद को शांत करने की काेशिश में
