ढाका,। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के पूर्व सूचना सलाहकार और
छात्र विद्रोह के प्रमुख नेता नाहिद इस्लाम ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख
हसीना को मानवता विरुद्ध अपराधों के लिए सुनाई गई मौत की सजा के फैसले पर
खुशी जताई है। नाहिद ने शेख हसीना के साथ इन अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल मामून की पांच साल की
सजा को नाकाफी बताया है। उन्होंने कहा कि अपराधों के लिए बराबर के दोषी
मामून को सुनाई गई सजा से वह असंतुष्ट हैं। अंतरिम सरकार छोड़ने के बाद
नाहिद ने नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) का गठन कर राष्ट्रीय राजनीति में
कदम रख चुके हैं।
बांग्लादेश न्यूज पोर्टल बीएसएस की
रिपोर्ट के अनुसार, नाहिद ने सोमवार देरशाम संवाददाता सम्मेलन में जुलाई
विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों में भूमिका के लिए
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण-1 के फैसले पर खुशी जताई। साथ ही शेख
हसीना को सुनाई गई मौत की सजा पर शीघ्र अमल करने का आग्रह अंतरिम सरकार से
किया। उन्होंने कहा कि शेख हसीना को बांग्लादेश वापस लाया जाना चाहिए और एक
महीने के भीतर उनकी मौत की सज़ा पर अमल किया जाना चाहिए।
उन्होंने
कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो लोगों, शहीदों के परिवारों और घायल लड़ाकों
की उम्मीदें अधूरी रह जाएंगी। नाहिद ने पार्टी की तरफ से जुलाई विद्रोह में
भाग लेने वाले छात्र कार्यकर्ताओं, शहीदों के परिवारों और घायल लड़ाकों को
बधाई दी। उन्होंने यह ऐतिहासिक फैसला है। अवामी लीग और शेख हसीना के
मानवता के विरुद्ध अपराधों को अब न्याय मिला है।
नाहिद इस्लाम ने इस
दौरान जुलाई-अगस्त क्रांति के दौरान न्याय के लिए संघर्ष को याद किया।
उन्होंने कहा, "जिस दिन मेरे भाई अबू सईद की हत्या हुई थी, हमने उनकी हत्या
के लिए न्याय दिलाने का संकल्प लिया था। आज हमें जुलाई क्रांति के हजारों
शहीदों और घायल सेनानियों पर किए गए अत्याचारों का फैसला मिला है।"
नाहिद
ने कहा कि शेख हसीना न केवल एक व्यक्ति के रूप में, बल्कि पार्टी नेता और
प्रधानमंत्री के रूप में भी नरसंहार की सर्वोच्च कमांडर और योजनाकार थीं।
इसलिए एक पार्टी के रूप में अवामी लीग भी मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए
जिम्मेदार है। अवामी लीग के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण में
अपील की जाएगी। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून की सजा
के बारे में नाहिद ने कहा, "उन पर भी उन्हीं अपराधों का आरोप है। हम उनकी
पांच साल की सजा से संतुष्ट नहीं हैं। एक सरकारी गवाह होने के बावजूद उनकी
सजा ज्यादा होनी चाहिए थी और अपीलीय खंड में इस पर पुनर्विचार किया जाएगा।"
बांग्लादेश छात्र विद्रोह के नेता नाहिद इस्लाम पूर्व आईजीपी मामून की पांच साल की सजा से असंतुष्ट
