लंदन,। सिख यूथ यूके समूह के जरिए चैरिटी दान (डोनेशन) केस में
धोखाधड़ी के मामले में ब्रिटेन की एक अदालत ने ब्रिटिश सिख भाई-बहन (कलदीप
सिंह और राजबिंदर कौर) को दोषी पाए जाने के बाद सजा सुनाई है।
राजबिंदर
कौर (55 वर्ष) को धन शोधन और 50 हजार ब्रिटिश पाउंड मूल्य की चोरी के छह
मामलों तथा ब्रिटेन के चैरिटीज एक्ट 2011 की धारा 60 के तहत एक मामले में
दोषी ठहराया गया, जो जानबूझकर या लापरवाही से चैरिटी आयोग को गलत या भ्रामक
जानकारी प्रदान करने से संबंधित है।उसके भाई कलदीप सिंह लेहल (43 वर्ष) को
भी चैरिटीज एक्ट के तहत इसी आरोप में दोषी ठहराया गया। दोनों भाई बहन
मिलकर सिख यूथ यूके (एसवाईयूके) समूह चलाते थे।
बर्मिंघम क्राउन
कोर्ट ने राजबिंदर कौर को ने दो वर्ष और आठ महीने के कारावास की सजा
सुनाई है। जबकि कलदीप को 18 महीने और 80 घंटे की सामुदायिक सेवा की सजा
सुनाई है। यह मामला अक्टूबर 2018 का है।
वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस की
अधीक्षक एनी मिलर ने सजा सुनाए जाने के बाद एक बयान में कहा कि एसवाईयूके
स्पष्ट रूप से उनकी जीवनशैली को वित्तपोषित करने और कर्ज चुकाने का एक साधन
था, लेकिन सरल शब्दों में कहें तो कौर बड़ी मात्रा में धन चुरा रही थीं,
जिसे स्थानीय लोगों ने अच्छे कार्यों के लिए दान किया था। उन्होंने बताया
कि दोनों भाई-बहन को शुरू में जुलाई 2019 में गिरफ्तार किया गया था और बाद
में सितंबर 2019 में उन पर आरोप लगाए गए।
बतादें कि बर्मिंघम क्राउन
कोर्ट में सुनवाई के बाद सितंबर 2024 में दोनों को दोषी ठहराया गया था,
जिसके दौरान यह सामने आया कि कौर और लेहल ने 2016 में क्षेत्र के स्वतंत्र
नियामक चैरिटी कमीशन के समक्ष एक आवेदन किया था ताकि इसे पंजीकृत चैरिटी
बनाया जा सके। लेकिन जब आयोग ने एसवाईयूके के बारे में और जानकारी मांगी तो
जानकारी नहीं दी गई, इसलिए चैरिटी आवेदन बंद कर दिया गया।