कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जूनियर
डॉक्टरों के बीच हुई बैठक में लाइव स्ट्रीमिंग न होने के कारण वार्ता विफल
हो गई। ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार को लाइव स्ट्रीमिंग
पर कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के
कारण लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के
सेवानिवृत्त जज अशोक गांगुली ने इस तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा कि ममता का
यह तर्क कानूनी रूप से सही नहीं है।
अशोक गांगुली ने कहा कि
मुख्यमंत्री द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग का विरोध करना पूरी तरह से उनका
व्यक्तिगत निर्णय है। यदि किसी विचाराधीन मामले पर चर्चा हो सकती है, और
उसे रिकॉर्ड किया जा सकता है, तो लाइव स्ट्रीमिंग में आपत्ति क्यों होनी
चाहिए? कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि
गुरुवार को ममता बनर्जी ने बयान दिया था, "हमें सीधे प्रसारण पर कोई आपत्ति
नहीं थी, लेकिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। हम नहीं चाहते थे कि
इस कारण से कोई गतिरोध उत्पन्न हो। हमने अपने पत्र में लिखा था कि हम लाइव
स्ट्रीमिंग नहीं कर सकते। वे कोई भी मुद्दा उठा सकते थे और बाद में इसे
मीडिया के सामने प्रस्तुत कर सकते थे। हम संयुक्त रूप से भी मीडिया से बात
कर सकते थे।"
अशोक गांगुली ने इस मामले पर आगे टिप्पणी करते हुए कहा
कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और डॉक्टरों के बीच चर्चा से समाधान निकालने का
निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने चर्चा का उल्लेख किया
था, लेकिन यह कहां कहा गया है कि लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती?"
ममता
बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच आर.जी. कर अस्पताल में चल रहे विवाद के
समाधान के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी, लेकिन लाइव स्ट्रीमिंग के मुद्दे
पर यह वार्ता विफल हो गई।
जस्टिस अशोक गांगुली ने मुख्यमंत्री के दावे पर उठाए सवाल, कहा -विचाराधीन मामले पर चर्चा हो सकती है तो लाइव स्ट्रीमिंग क्यों नहीं
