कोलकाता। मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में एक प्रसूता की मौत और चार
अन्य महिलाओं के बीमार पड़ने के बाद प्रतिबंधित सलाइन के उपयोग का मामला
गरमा गया है। बावजूद इसके, पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के पॉलाशिपाड़ा
स्थित प्रीतिमयी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में इस सलाइन का उपयोग जारी रहने
का आरोप सामने आया है।
इस विवादास्पद सलाइन, जिसे 'पश्चिम बंगाल
फार्मास्यूटिकल' द्वारा निर्मित 'रिंगर्स लैक्टेट' कहा जाता है, को
स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद, इस सलाइन
का उपयोग किए जाने से मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ब्लॉक
स्वास्थ्य अधिकारी रबीउल हक ने बताया कि उच्च अधिकारियों ने सलाइन के
उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद इसका उपयोग कैसे हुआ,
यह पता लगाया जाएगा। मैं मामले की जांच करूंगा।
रविवार को
गोपीनाथपुर क्षेत्र की निवासी रहिमा खातून को प्रीतिमयी स्वास्थ्य केंद्र
में भर्ती कराया गया था। रहिमा के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें
प्रतिबंधित सलाइन लगाया गया। जब परिवार ने इसका विरोध किया, तो नर्सों ने
दावा किया कि डॉक्टर ने इसे इस्तेमाल करने का आदेश दिया था।
हालांकि,
जब परिवार ने डॉक्टर से बात की, तो उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया।
रहिमा की रिश्तेदार मौसमी खातून ने कहा कि प्रतिबंधित सलाइन का उपयोग किया
गया है। अगर मरीज को कुछ हो जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
स्वास्थ्य विभाग को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
जिला
उपमुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पराशर पोद्दार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने
सलाइन पर प्रतिबंध लगाते हुए विकल्प भी उपलब्ध कराए थे। इस तरह का मामला
नहीं होना चाहिए था। हम मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं।