कोलकाता। नियुक्ति घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के
मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और अन्य
आरोपितों के खिलाफ मंगलवार से सुनवाई शुरू हो गई। यह प्रक्रिया एक बंद कमरे
(इन-कैमरा) में चल रही है, जहां बाहरी लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
सुप्रीम
कोर्ट ने पहले ईडी को निर्देश दिया था कि वह महत्वपूर्ण गवाहों के बयान
दर्ज करे। इसी क्रम में मंगलवार को विशेष अदालत में पहली बार एक महत्वपूर्ण
गवाह का बयान दर्ज किया गया। ईडी ने अदालत को प्राथमिक तौर पर तीन
महत्वपूर्ण गवाहों की सूची सौंपी है। सुनवाई ‘इन-कैमरा’ चलने के कारण
गवाहों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
पार्थ चटर्जी को सुप्रीम
कोर्ट ने शर्तों के साथ एक फरवरी तक जमानत देने का निर्देश दिया है। कोर्ट
ने यह भी कहा है कि जमानत से पहले आरोप तय करने और गवाहों के बयान दर्ज
करने की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
ईडी ने 22 जुलाई 2022 को दक्षिण
कोलकाता के नाकतला स्थित पार्थ चटर्जी के घर पर छापा मारा था। छापेमारी के
बाद पार्थ को गिरफ्तार कर लिया गया। ईडी ने पार्थ की करीबी अर्पिता
मुखर्जी के टालीगंज और बेलघरिया स्थित फ्लैटों से करीब 21.9 करोड़ रुपये
नकद, विदेशी मुद्रा और सोने के आभूषण बरामद किए थे।
ईडी का दावा है
कि नियुक्ति घोटाले में पार्थ मुख्य साजिशकर्ता हैं। इस मामले में चार्जशीट
में 54 आरोपितों के नाम शामिल हैं, जिनमें कई कंपनियां भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को पार्थ को शर्तों के साथ जमानत देने का आदेश
दिया था।