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मेघालय में भूस्खलन के चलते 7 लोगों की मौत, दो शव बरामद



शिलाग। मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले के गसुआपारा के अंतर्गत हटियासिया सोंगमा में 7 लोग भारी भूस्खलन के चलते पहाड़ी मिट्टी के नीचे दब गये हैं। मौके पर पहुंची प्रथम बटालियन एनडीआरएफ की टीम ने राहत एवं बचाव कार्य चलाया और रविवार सुबह दो शवों को बरामद कर लिया है। यह हादसा बीते 3 अक्टूबर की देर रात को हुआ था।

पूर्वोत्तर में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बरसात के चलते सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जगह-जगह पर भूस्खलन के चलते स्थिति और भी गंभीर बन गयी है। घटनास्थल बेहद दुर्गम इलाके में स्थित है, जिसके चलते प्रशासन को हादसे की जानकारी दूसरे दिन मिली। इसके बाद राहत एवं बचाव कार्य आरंभ किया गया।

गुवाहाटी स्थित प्रथम बटालियन एनडीआरएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी 4 अक्टूबर को जिला प्रशासन से मिलते ही घटनास्थल के लिए एनडीआरएफ की टीम रवाना हो गयी। लगातार हो रही बरसात के चलते टीम पैदल चलते हुए शुक्रवार की रात को पहुंची, जिसके बाद शनिवार से पहाड़ी मिट्टी को हटाने का कार्य आरंभ किया गया।भूस्खलन की घटना के चौथे दिन आज सुबह दो व्यक्तियों के शव मलबे से बरामद किए गए हैं। मौके पर राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने इस हादसे पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी को मृतकों के परिजनों को जल्द से जल्द अनुग्रह राशि जारी करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने बाढ़ की स्थिति पर समीक्षा बैठक के दौरान लकड़ी के सभी पुलों को हटाने और अधिक टिकाऊ तथा लंबे समय तक चलने वाले रेट्रोफिटेड बेली पुलों के निर्माण कराने की घोषणा की है। जिले में करीब 30 ऐसे लकड़ी के पुल हैं, जो प्रकृति के मामूली प्रकोप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

इस घटना में मृतकों की पहचान सिलजी आर मराक (60, मां), मेरिना आर मराक (39, बेटी), समा एन संगमा (50, दामाद), चेंगबे आर मराक, (22, पोती), देसरंग आर मराक (14, पोता) सिलबेरा आर मराक (8, पोती) और डिमसे आर मारक (1.5 वर्ष, परपोती) के रूप में हुई है।

जिले के एसपी शैलेंद्र बामनिया ने बताया कि संपर्क सड़कें और अन्य चीजें अभी भी पटरी पर नहीं लौटी हैं और अन्य जिलों से अधिक जानकारी आने पर प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ सकती है।

दक्षिण गारो हिल्स, पश्चिम गारो हिल्स से पूरी तरह कटा हुआ है, क्योंकि सीमा सड़क और मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग दोनों क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस बीच विभिन्न प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों ने अपने घरों से बाहर निकलने और प्रभावित लोगों को सामूहिक रूप से राहत प्रदान करने की पहल की है।

चोकपोट में स्थानीय विधायक सेंगचिम संगमा ने बीडीओ, एसडीपीओ और जीएसयू के सदस्यों के साथ मिलकर उन लोगों को राहत प्रदान की, जो उनके संपर्क में आ सकते थे। हालांकि, कई क्षेत्र अभी भी कटे हुए हैं, इसलिए वे अंदर नहीं जा सके। रविवार को प्रयास फिर से शुरू किया गया।

वेस्ट गारो हिल्स में डालू सीएंडआरडी ब्लॉक सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, जहां राज्य ग्रामीण विकास मंत्री एटी मंडल ने स्थिति का जायजा लेने के लिए क्षेत्र का दौरा किया। उनके साथ डीसी के साथ-साथ जिले और आपदा प्रबंधन टीमों के अन्य कर्मी भी शामिल थे। कई लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। उन्हें राशन मुहैया कराया जा रहा है।

दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स में ताजा रिपोर्टों के अनुसार पानी कम होना शुरू हो गया है और निवासी अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। कई राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।

प्रशासन के अनुसार कुल 13 गांवों के कुल 2,900 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकांश स्थानों पर नेटवर्क और बिजली बहाल कर दी गई है, हालांकि प्रभावित लोगों की संख्या और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि अधिक दूरदराज के क्षेत्रों में अब पहुंच संभव हो पाई है। अब तक 330 घरों की कुल 4,954 आबादी वाले 54 गांव प्रभावित हुए हैं।