राजधानी बेंगलुरु समेत पूरे कर्नाटक में सोमवार से बाइक टैक्सी पर रोक लग गई है। ऐसा हाई कोर्ट के आदेश के बाद हुआ है। कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही इन सेवाओं पर लगी अस्थायी रोक हटाने से इनकार कर दिया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के बाद 16 जून सोमवार से राज्य में बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लागू हो गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम के तहत बाइक टैक्सी सेवाओं को नियमित करने के लिए स्पष्ट नियम नहीं बनाती, तब तक इन सेवाओं का संचालन नहीं किया जा सकता।
ओला, उबर और रैपिडो ने हाई कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें बाइक टैक्सी को एक वैध परिवहन सेवा के रूप में मान्यता दी जाए और पीली नंबर प्लेट वाले दोपहिया वाहनों को वाणिज्यिक श्रेणी में पंजीकृत करने की अनुमति दी जाए। लेकिन न्यायमूर्ति बी.एम. श्याम प्रसाद की पीठ ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि जब तक सरकार स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं बनाती, बाइक टैक्सी सेवाओं को वैध नहीं माना जा सकता।
अदालत का फैसला और उसके परिणाम
इस संदर्भ में कर्नाटक हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 2 अप्रैल को बाइक टैक्सियों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, सेवा प्रदाता कंपनियों ने इसे कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की, लेकिन हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने प्रतिबंध आदेश जारी रखा और अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। नतीजतन आज से पूरे राज्य में सभी अनधिकृत बाइक टैक्सी यातायात पूरी तरह से बंद हो गया है।
सरकार को तीन महीने की मोहलत
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मोटर वाहन अधिनियम के तहत नीति तैयार करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। जब तक ये दिशानिर्देश नहीं बन जाते, बाइक टैक्सी सेवाएं चलाना गैरकानूनी माना जाएगा। अप्रैल 2025 में कंपनियों को दी गई अंतरिम अनुमति की अवधि भी अब समाप्त हो चुकी है।
परिवहन विभाग के कानून के तहत हमला
प्रतिबंध के मद्देनजर परिवहन विभाग ने सोमवार को शहर में व्यापक अभियान चलाया। अधिकारियों ने कई स्थानों पर जांच की और अवैध रूप से चल रहे दोपहिया वाहनों को जब्त किया। कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने की किसी भी कोशिश को रोकने के लिए कदम उठाने वाले विभाग का इरादा आने वाले दिनों में लगातार निगरानी बनाए रखने का है।
सुरक्षित यातायात के लिए सख्त कदम
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बाइक टैक्सी चालकों को चेतावनी देते हुए कानून का उल्लंघन न करने की सलाह दी है। अधिकारियों ने कहा कि जन सुरक्षा, कानूनी अनुशासन और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के हित में यह कार्रवाई जरूरी है।
आम लोगों की बढ़ी परेशानी
बेंगलुरु जैसे महानगर में बाइक टैक्सी सेवाएं न केवल समय की बचत करती थीं, बल्कि किराए के मामले में भी किफायती विकल्प थीं। अब इन सेवाओं के बंद होने से यात्रियों को महंगे कैब और ऑटो की ओर रुख करना पड़ेगा। मध्यम वर्ग, छात्र और ऑफिस जाने वाले युवाओं पर इसका सीधा असर पड़ता दिख रहा है।
प्रतिबंध हटाने की मांग
इस बीच, बाइक टैक्सी संगठन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है। पत्र में गिग वर्कर्स की आजीविका, तकनीकी दिक्कतों और रोजगार की जरूरतों का जिक्र किया गया है। संगठन ने चेतावनी दी है कि इस बैन से राज्य भर के हजारों गिग वर्कर्स की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। अब सरकार के जवाब का इंतजार है।
उल्लेखनीय है कि साल 2021 में कर्नाटक सरकार ने इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी नीति की शुरुआत की थी, लेकिन नियमों और सुरक्षा मानकों की अनुपस्थिति के चलते मार्च 2024 में उसे भी बंद कर दिया गया था।
हाई कोर्ट के आदेश पर कर्नाटक सरकार ने बाइक टैक्सी सेवा की बंद

बाइक टैक्सी के बंद होने से न केवल यात्रियों की परेशानी बढ़ेगी, बल्कि हजारों ड्राइवरों की आजीविका भी संकट में आ गई है। इस बीच, बाइक टैक्सी संगठन ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है।