सहरसा
संतमंत सत्संग मंदिर मे सप्तदिवासीय ध्यान साधना शिविर आयोजित
शारदीय
नवरात्रि के अवसर पर गांधी पथ स्थित संतमंत सत्संग मंदिर मे सप्तदिवासीय
ध्यान -साधना शिविर का आयोजन किया गया है।जिसमे प्रत्येक दिन पांच घंटा का
ध्यानाभ्यास तय समय पर एक एक घंटा का होता है।इस ध्यान- साधना शिविर के
दौरण प्रत्येक दिन सत्संग भजन एवं कीर्तन होता है।प्रथम दिन सप्त दिवसीय
ध्यान- साधना शिविर के दौरान प्रवचन करते हुए स्वामी नवल किशोर बाबा ने कहा
कि आध्यात्मिकता में ध्यान का उद्देश्य है।अपने स्वरूप और अपने लक्ष्य की
विस्मृति के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं से छुटकारा पाना। ध्यान तन, मन और
आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है।ध्यान का
नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती और मानसिक शांति की अनुभूति होती
है।स्वामी महेशानंद बाबा ने प्रवचन करते हुए कहा कि ध्यान का अर्थ है
भौतिक शरीर और मन की सीमाओं के परे जाना।
जब आप शरीर और मन की
सीमित समझ के परे जाते हैं, सिर्फ तभी आप जीवन के पूरे आयाम को अपने अंदर
पा सकते हैं।आप का शरीर आपके खाये हुए भोजन का सिर्फ एक ढेर है।
आप
का मन सिर्फ आपके द्वारा बाहर से इकट्ठा किये हुए प्रभावों का एक ढेर है।
जब आप अपनी पहचान एक शरीर के रूप में करते हैं। तो जीवन के बारे में आपकी
सारी समझ सिर्फ जीवित रहने भर के बारे में होगी। अगर आप अपनी पहचान अपने मन
के रूप में करते हैं तो आपकी सारी समझ सिर्फ पारिवारिक, सामाजिक और
धार्मिक दृष्टिकोण की गुलाम ही होगी।आप इन सब के परे देख ही नहीं सकते।
केवल जब आप अपने ही मन के फेर से मुक्त होंगे, तब ही आप परे के आयाम को जान
पायेंगे।स्वामी शभ्भू बाबा ने प्रवचन करते हुए कहा कि ध्यान आपको शांति,
सुकून और संतुलन का एहसास दे सकता है। जो आपके भावनात्मक स्वास्थ्य और आपके
समग्र स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है।आप इसका उपयोग आराम करने और तनाव
से निपटने के लिए भी कर सकते हैं, इसके लिए आप किसी ऐसी चीज़ पर ध्यान
केंद्रित कर सकते हैं जो आपको शांत करती है।ध्यान -साधना शिविर का समापण 10
अक्टूबर को होगा।