(वार्षिकी) वाणिज्य मंत्रालय न्यूजीलैंड सहित 3 देशों के साथ व्यापार समझौता करने में कामयाब रहा
नई
दिल्ली: भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते
(एफटीए) पर बातचीत संपन्न होने की सोमवार को घोषणा की। इसके साथ ही भारत इस
साल तीन बड़े व्यापार समझौता करने में कामयाब रहा।
इस साल जुलाई में सबसे
पहले ब्रिटेन के साथ भारत का व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए)
हुआ। जिसके बाद भारत ने इसी महीने 18 दिसंबर को ओमान के साथ व्यापक आर्थिक
साझेदारी समझौता (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किया।
न्यूजीलैंड के साथ
एफटीए के बाद भारत के केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने
कहा कि ये व्यापक और भविष्य की ओर देखने वाला मुक्त व्यापार समझौता है, यह
हमारे किसानों और डेयरी को बढ़ावा देगा।
उन्होंने बताया कि ये 9 महीने में
किया गया एफटीए है, जो पिछले 5 सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की
अगुवाई में भारत की 7वीं सबसे बड़ी ट्रेड डील है। खास बात ये है कि भारत ने
ये सभी समझौता विकसित देशों के साथ किया है।
भारत-न्यूजीलैंड मुक्त
व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत पूरी होने पर पीयूष गोयल ने मीडिया को
संबोधित करते हुए कहा कि हम अमेरिका के साथ अपनी बातचीत में पहले ही उन्नत
चरण में हैं।
उन्होंने बताया कि अमेरिका के उप-व्यापार प्रतिनिधि रिक
स्विट्जर अपने दल के साथ हाल में व्यापार वार्ता की समीक्षा के लिए भारत आए
थे। दो दिवसीय बातचीत 11 दिसंबर को पूरी हुई। उन्होंने कहा कि हमारे
व्यापारियों, निर्यातकों, एमएसएमई, किसानों, महिला उद्यमियों, युवाओं और
प्रोफेशनल्स को बेहतर अवसर मिलेंगे।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली
छमाही में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन देश के निर्यात
इकोसिस्टम को बदलने के लिए 25,060 करोड़ रुपये के मिशन का अनावरण और
ब्रिटेन के साथ सीईटीए समझौते से भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक
पहुंच में बड़ा उछाल आया। वाणिज्य मंत्रालय के डिजिटल सुधार से व्यापार
अनुपालन और इंटेलीजेंस को सुव्यवस्थित किया गया।
जेईएम 16.41 लाख करोड़
रुपये के जीएमवी के साथ भारत का सबसे बड़ा खरीद मंच बनकर उभरा है। इसके
अलावा अमेरिका, यूरोपीय संघ, जीसीसी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की
बढ़ती भागीदारी के साथ विदेशी व्यापार समझौतों (एफटीए) को गति मिली। वर्ल्ड
एक्सपो ओसाका 2025 में मिली प्रमुख मान्यता के साथ भारत को वैश्विक स्तर
पर पहचान मिली।
भारत ने
विदेश व्यापार में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश का कुल निर्यात
(वस्तु और सेवाएं) वित्त वर्ष 2024-25 में 825.25 अरब यूएस डॉलर के अपने
उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो 6.05 फीसदी की मजबूत सालाना बढ़ोतरी
प्रदर्शित करता है।
यह तेज चाल चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भी जारी रही,
जिसमें अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान निर्यात बढ़कर 418.91 अरब यूएस डॉलर हो
गया, जो बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 5.86 फीसदी की बढ़ोतरी है, यह
भारत के निरंतर बढ़ते निर्यात पथ को और सुदृढ़ करता है।
विशेष तौर पर वित्त
वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) के दौरान भारत का
व्यापार प्रदर्शन अब तक का उच्चतम रिकॉर्ड है। साथ ही वैश्विक अनिश्चितताओं
के बीच पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर
2025) दोनों ने अपनी-अपनी तिमाहियों में अब तक का उच्चतम स्तर दर्ज किया
है।
मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में भी यह रुझान सकारात्मक तौर पर
जारी रहा, अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान माल निर्यात बढ़कर 219.88 अरब
अमेरिकी डॉलर हो गया, जो बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 2.90 फीसदी अधिक
है।
अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं (41.94
फीसदी), इंजीनियरिंग वस्तुएं (5.35 फीसदी), दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स
(6.46 फीसदी), समुद्री उत्पाद (17.40 फीसदी) और चावल (10.02 फीसदी) शामिल
हैं, जिन्होंने मिलकर भारत के मजबूत हो रहे निर्यात को गति दी।
इसके अलावा
भारत के निर्यात प्रदर्शन को अमेरिका (13.34 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात
(9.34 फीसदी), चीन (21.85 फीसदी), स्पेन (40.30 फीसदी) और हॉन्ग कॉन्ग
(23.53 फीसदी) जैसे निर्यात स्थलों से भरपूर सहयोग मिला, जिनमें से
प्रत्येक ने बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले अप्रैल-सितंबर 2025
में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की है।
वाणिज्य
एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और न्यूजीलैंड ने एक
व्यापक, संतुलित और भविष्योन्मुखी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया है,
विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह किसी विकसित देश
के साथ भारत के सबसे तेजी से पूरे किए गए मुक्त व्यापार समझौते में से एक
है।
दरअसल हाल ही में हुए कई व्यापार समझौतों के जरिए भारत की वैश्विक
आर्थिक साझेदारियों को महत्त्वपूर्ण गति मिली है, जो इसके निर्यात परिदृश्य
को नया आकार दे रहे हैं। इससे पहले ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक
और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारत के निर्यात के 99 फीसदी हिस्से को
शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, जिससे साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार
के 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का रास्ता मिलता है।
ब्रिटेन के
अतिरिक्त भारत ने इसी महीने 18 दिसंबर को ओमान के साथ व्यापक आर्थिक
साझेदारी समझौता (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किया है। साथ ही यूएई-भारत व्यापक
आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए), ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और
व्यापार समझौता (ईसीटीए) और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) जैसे
रणनीतिक समझौतों के माध्यम से अपनी पहुंच का विस्तार किया है।
इसके
अतिरिक्त, भारत अभी कई प्रमुख देशों और क्षेत्रों के साथ मुक्त व्यापार
समझौतों पर बातचीत कर रहा है। ये साझेदारियां कई क्षेत्रों में नए अवसर खोल
रही हैं और साथ ही वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के एकीकरण को भी
मजबूत कर रही हैं।
इसमें
भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), भारत-अमेरिका
द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए), भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग
समझौता (सीईसीए), भारत-चिली मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), भारत-कोरिया
सीईपीए (प्रमुख स्तर पर बातचीत),
भारत-पेरू मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए),
भारत-श्रीलंका आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौता (ईटीसीए), भारत-ईएईयू
मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), भारत-मालदीव मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
और आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (एआईटीआईजीए) प्रमुख है।
इसके
अलावा निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम) के तहत निर्यात प्रोत्साहन मिशन
(ईपीएम) भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहन देने की दिशा
में बड़ी पहल है। यह मिशन वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय
और वित्तीय इकाइयों, निर्यात प्रोत्साहन परिषदों, कमोडिटी बोर्ड, उद्योग
संघों और राज्य सरकारों सहित अन्य प्रमुख हितधारकों के सहयोगी फ्रेमवर्क पर
आधारित है।
यह एक दूरदर्शी सुधार है, जो भारत के वैश्विक व्यापार ढांचे को
मजबूत करता है, जो साल 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के
अनुरूप है, जिससे देश एक आधुनिक, प्रौद्योगिकी-आधारित और वैश्विक स्तर पर
प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के तौर पर स्थापित हो सके।
