फतेहाबाद : साइबर फ्रॉड की जांच में बैंक ने नहीं किया सहयोग, प्रबंधक व नोडल अधिकारी पर कार्रवाई
फतेहाबाद, । प्रदेश में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड मामलों के बीच
फतेहाबाद पुलिस ने बैंक असहयोग पर बड़ी कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट कर
दिया है कि साइबर अपराध जांच में किसी भी प्रकार की लापरवाही या बाधा को
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे ही एक मामले में बैंक द्वारा पुलिस जांच में
सहयोग न करने पर एसबीआई के एक अधिकारी पर कार्रवाई की गई है। फतेहाबाद
में साइबर अपराध से जुड़े एक बड़े मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, भूना
शाखा से जुड़े 54 संदिग्ध खातों के माध्यम से 208 ट्रांजेक्शन कर लगभग 8
करोड़ रुपये की ठगी की गई थी।
मामले की जांच के दौरान शाखा को कई बार
बीएनएसएस धारा 94 के तहत नोटिस जारी किए गए, लेकिन इसके बावजूद आवश्यक
दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए और न ही किसी प्रकार का सहयोग दिया गया।
निरंतर असहयोग और जांच में बाधा उत्पन्न करने के आधार पर पुलिस ने शाखा के
मुख्य प्रबंधक विरेंद्र यादव तथा नोडल अधिकारी सुखबिन्द्र सिंह के विरुद्ध
बीएनएस की धारा 210 के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई कर अदालत में दी गई।
पुलिस
ने कहा है कि यह कार्रवाई एक कड़ा संदेश है कि जांच में जहां भी असहयोग
मिलेगा, वहीं से सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी। शुक्रवार
को पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने स्पष्ट करते हुए कहा कि बीएनएस धारा 210
के अनुसार पुलिस की वैधानिक मांग पर दस्तावेज, जानकारी या तकनीकी सहायता
उपलब्ध न कराना एक दंडनीय अपराध है, जिसके तहत गिरफ्तारी,
अभियोजन और
न्यायालयीन दंड का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बैंक असहयोग न केवल कानून
के विरुद्ध है बल्कि साइबर अपराधियों को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण देने के
समान भी है, जिसे किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने सभी बैंक कर्मचारियों को निर्देश दिए कि किसी भी साइबर फ्रॉड
एफआईआर शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित खाते का तुरंत फ्रिजेशन किया जाए।
साथ ही केवाईसी रिकॉर्ड,
लेनदेन विवरण, बेनिफिशियरी डेटा, सीसीटीवी फुटेज,
आईपी लॉग, कॉल रिकॉर्ड एवं सत्यापन संबंधित सभी दस्तावेज बिना किसी देरी के
पुलिस को उपलब्ध कराए जाएं। सूचना रोकने, औपचारिकताओं का बहाना बनाने या
तकनीकी सहयोग न देने पर संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध बीएनएस 210 के तहत
सीधे कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
