उदयपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छात्रशक्ति से आह्वान
किया है कि वे अपने आचरण और कार्य से देश और समाज का गौरव बढ़ाएं।
राष्ट्रपति
मुर्मु गुरुवार को उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 32वें
दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने
इन छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे ऐसा कोई काम न करें,
जिससे उनके चरित्र पर दाग लगे। उच्चतम नैतिक मूल्य उनके व्यवहार और
कार्यशैली का हिस्सा होने चाहिए। उनके जीवन के हर पहलू में ईमानदारी होनी
चाहिए। उनका प्रत्येक कार्य न्यायसंगत एवं नैतिक होना चाहिए।
विश्वविद्यालय
के विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षांत समारोह में उन्होंने 102 में
से 69 गोल्ड मेडल छात्राओं के नाम होने पर कहा कि यह देश और समाज के लिए
गर्व का विषय है। आज बेटियां सभी क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं।
वे समाज और राष्ट्र के लिए आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने राणा सांगा,
महाराणा प्रताप और मीरा को याद करते हुए कहा कि यह क्षेत्र शक्ति और भक्ति
का संगम है। उन्होंने कहा कि यह तेजी से बदलाव का समय है, जो ज्ञान,
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हो रहा है। उन्होंने छात्रों को
हमेशा छात्र की भावना बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि निरंतर कड़ी
मेहनत और समर्पण उन्हें जीवन भर मदद करेगा। राष्ट्रपति ने छात्रों को अपनी
महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता एक प्राकृतिक गुण है। परहित करने में अपना
आत्मकल्याण भी निहित है। इस भावना को धारण करना चाहिए।
राष्ट्रपति
ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी है कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय छह
दशकों से अधिक समय से उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। विश्वविद्यालय में बड़ी
संख्या में छात्र एससी और एसटी समुदाय से हैं। विश्वविद्यालय ने कई गांवों
को गोद लिया है और छात्रों को गांव के विकास में शामिल किया है।
समारोह
में राष्ट्रपति ने शुरुआत में कुछ छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान
किए। बाद में दूसरे चरण में अन्य विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किए गए।
दीक्षांत समारोह में 85 विद्यार्थियों को 102 गोल्ड मेडल दिए जा रहे हैं।
इसमें 16 छात्र और 69 छात्राएं हैं। इन गोल्ड मेडल में 8 चांसलर मेडल भी
शामिल हैं। इनमें 2 छात्र और 6 छात्राएं हैं। हर साल दिए जाने वाले
स्पॉन्सर गोल्ड मेडल के क्रम में डॉ. सीबी मामोरिया, प्रो. विजय श्रीमाली,
प्रो.आरके श्रीवास्तव, विजय सिंह देवपुरा, पीसी रांका, प्रो ललित
शंकर-पुष्पा देवी शर्मा स्मृति में गोल्ड मेडल हैं।
इसके अलावा कुल
68 विद्यार्थियों को पीएचडी प्रदान की गई, जिनमें 35 छात्राएं और 33 छात्र
शामिल रहे। पीएचडी में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान संकाय में 16-16,
वाणिज्य में 14 संकाय में 16 प्रबंधन और विधि में 1-1, मानविकी संकाय में
10, पृथ्वी विज्ञान संकाय में 3 और शिक्षा संकाय में 7 विद्यार्थी शामिल
थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव
बागड़े ने की। इस अवसर पर राज्यपाल बागड़े ने सभी पदक एवं उपाधि प्राप्त करने
वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। बागड़े ने
कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति प्राचीन भारत की शिक्षापद्धति से प्रेरित
है। इसमें विद्यार्थी को अपने विषय के अतिरिक्त भी अन्य जीवनोपयोगी विषयों
के अध्ययन की सुविधा प्रदान की जा रही है। बागड़े ने कहा कि प्राचीन भारत
शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है। यहां नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां
देश-विदेश से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। दशमलव और शून्य जैसी महत्वपूर्ण
इकाइयां दुनिया को भारत की देन हैं। उन्होंने राजस्थान के विश्वविद्यालयों
की यूजीसी नेक रैंकिंग पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में मानकों
के अनुसार सुविधाओं के विस्तार पर काम किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि
अगले 5 वर्षों के दरम्यान राजस्थान का कोई भी विश्वविद्यालय नेट रैंकिंग से
वंचित नहीं रहेगा। बागड़े ने विद्यार्थियों को जल के समान शीतलता और
विनम्रता धारण करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में पंजाब के
राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया, उपमुख्यमंत्री और उच्च
शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। इससे पहले
कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने स्वागत करते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत
किया।