नई
दिल्ली, । भारतीय वायु सेना ने केंद्र सरकार को 10 तापस
मेड-इन-इंडिया ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव दिया है। इनमें से छह ड्रोन भारतीय
वायु सेना के लिए जबकि शेष चार भारतीय नौसेना के लिए होंगे। रक्षा बलों
में तापस ड्रोन को शामिल करने और अधिग्रहण करने के लिए भारतीय वायु सेना
प्रमुख एजेंसी होगी। भारतीय वायु सेना के प्रस्ताव पर जल्द ही रक्षा
मंत्रालय में जल्द ही चर्चा किए जाने की उम्मीद है। तापस ड्रोन को केवल
सीमाओं पर निगरानी रखने ही नहीं बल्कि दुश्मनों पर हमला करने के लिए भी
इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि मध्यम
ऊंचाई वाले तापस ड्रोन को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की
प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीए) ने विकसित किया है।
इनका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स
लिमिटेड ने संयुक्त रूप से किया है। 10 तापस मेड-इन-इंडिया ड्रोन खरीदने के
प्रस्ताव को रक्षा बलों की स्वदेशी मानव रहित निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने
के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। वायु सेना के छह स्वदेशी
तापस ड्रोन उत्तरी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर मानव रहित निगरानी में
सुधार करने में मदद करेंगे।
तापस का पूरा नाम टेक्टिकल एयरबॉर्न
प्लेटफॉर्म फॉर एरियल सर्विलांस बियॉन्ड होराइजन (टीएपीएएस) है। यह भारत का
पहला मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी है, जो अमेरिका के
एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन जैसा ही है। भारतीय वायुसेना के पास इजराइली मूल
के सर्चर, हेरॉन मार्क-1 और मार्क-2 ड्रोन का बेड़ा है और वह भविष्य में
तीनों सेनाओं के अधिग्रहण के हिस्से के रूप में अमेरिकी प्रीडेटर
एमक्यू-9बी ड्रोन को शामिल करने की योजना बना रही है। इसी साल की शुरुआत
में तापस ड्रोन की क्षमताओं पर सवाल उठाये गए थे, लेकिन डीआरडीओ इस प्रणाली
को और विकसित करने के लिए तापस परियोजना पर काम कर रहा है।
दरअसल,
पहले बताया गया था कि तापस ड्रोन लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक 30 हजार
फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता पूरा नहीं कर पाए हैं, इसीलिए उन्हें
मिशन मोड परियोजनाओं की श्रेणी से बाहर रखा गया है। तापस ड्रोन का परीक्षण
रक्षा बलों ने किया है, जिस दौरान वे 28 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में
सफल रहे और 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सके।डीआरडीओ के अधिकारियों ने
कहा कि संबंधित प्रयोगशाला ड्रोन की डिजाइन में सुधार और शक्ति बढ़ाने पर
काम करेगी, ताकि इसे ऊंचाई और सहनशक्ति की सेवा आवश्यकताओं के लिए अधिक
उपयुक्त बनाया जा सके, जिसे वह हाल के मूल्यांकन में पूरा करने में सक्षम
नहीं था।
वायु सेना और सेना को मिलेंगे 10 तापस स्वदेशी ड्रोन, सरकार को भेजा प्रस्ताव
