जयपुर। चुनाव आयोग ने राजस्थान कैडर के भारतीय पुलिस सेवा
(आईपीएस) के अधिकारी किशन सहाय को सस्पेंड कर दिया है। किशन सहाय मीणा आईजी
मानवाधिकार के पद पर पुलिस मुख्यालय में तैनात थे। विधानसभा चुनाव के
दौरान उनकी ड्यूटी झारखंड में लगाई गई थी। इस संबंध में चुनाव आयोग ने
मुख्य सचिव राजस्थान को पत्र भेजा है।
चुनाव आयोग ने पत्र में लिखा
कि झारखंड विधानसभा चुनाव में किशन सहाय मीणा को गुमला जिले के 67-सिसई,
68-गुमला और 69-बिशुनपुर में पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया गया
था। आयोग की स्वीकृति के बिना 28 अक्टूबर 2024 को किशन सहाय ने ड्यूटी स्थल
छोड़ दिया। पत्र में लिखा गया कि पुलिस पर्यवेक्षक की नियुक्ति चुनाव आयोग
भारत के संविधान के तहत करता है। किशन सहाय का नाम राजस्थान सरकार की ओर
से 21 अक्टूबर को भेजा गया था। किशन सहाय के आदेश 23 अक्टूबर को किए गए थे।
उन्हें नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन से एक दिन पहले 24 अक्टूबर को
निर्धारित निर्वाचन क्षेत्रों में रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए थे।
उन्हें फॉर्म 17ए की जांच और पुनर्मतदान हो तो उसके बाद निर्वाचन क्षेत्र
छोड़ने के आदेश दिए हुए थे। उन्होंने 28 अक्टूबर को निर्वाचन क्षेत्र छोड़
दिया था। आयोग की मंजूरी लिए बिना जयपुर चले गए थे। इसे चुनाव आयोग ने
गंभीर माना। इस पर मुख्य सचिव और डीजीपी को 11 नवंबर को पत्र जारी कर
सस्पेंड करने के आदेश दिए थे।
आईपीएस किशन सहाय पहले भी विवादों में
रहे हैं। उन्होंने धार्मिक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि धर्म
ग्रंथों में जिनका भी वर्णन कर रखा है, वह कल्पना मात्र की बातें हैं। किशन
सहाय प्रमोटी आईपीएस अधिकारी हैं। साल 2013 में आईपीएस बने थे। अगस्त 2013
में इन्हें एसपी टोंक लगाया गया था, लेकिन 11 जनवरी 2014 को यहां से एसपी
जीआरपी अजमेर लगाया गया था। यहां किशन सहाय पूरे एक साल तक रहे। इसके बाद
उन्हें सरकार ने एपीओ कर दिया था। करीब छह महीने एपीओ रहने के बाद सरकार ने
किशन सहाय को सीआईडी सीबी में एसपी लगाया। किशन सहाय यहां साढ़े चार साल
तक रहे। सीआईडी सीबी के बाद जेल और फिर दोबारा सीआईडी सीबी में लगाया गया।
साल 2020 में किशन सहाय को डीआईजी आर्म्ड बटालियन पुलिस मुख्यालय में लगाया
गया। यहीं पर सहाय डीआईजी से आईजी बने। 2023 में किशन सहाय को ह्यूमन
राइट्स में लगाया गया था।