देहरादून, । स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने दिल्ली एनसीआर सहित देश के 17 राज्यों में साइबर अपराधियों की तलाश के लिए ऑपरेशन प्रहार शुरू किया। कुल 42 दिन तक चले इस अभियान में 290 साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसा गया। अपराधियों के घरों पर नोटिस चस्पा करने के साथ ही जेलों में बंद साइबर अपराधियों को भी बी वारंट भी जारी किए गए हैं।
ऑपरेशन प्रहार के तहत देश हिमांचल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गोवा में 23 विशेष टीमों ने साइबर अपराधियों की तलाश की। इस टीम में तकनीकी तौर पर दक्ष और 14सी से प्रशिक्षित साइबर कमांडों भी शामिल किए गए।
पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने देशभर में साइबर क्राइम की रोकथाम और उत्तराखंड से अपराध कर भागे आरोपितों की धरपकड़ के लिए ऑपरेशन प्रहार चलाने के निर्देश दिए थे। पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर गढ़वाल व कुमाऊं की टीमों ने यह अभियान चलाया। एसटीएफ के उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा ने रणनीति के तहत प्रभारी निरीक्षक साइबर थाना गढ़वाल त्रिभुवन रौतेला व प्रभारी निरीक्षक साइबर थाना कुमाऊं अरुण कुमार को इसका नेतृत्व सौंपा।
अभियान में की गई कार्रवाई-
-दिल्ली-एनसीआर सहित देश के 17 राज्यों में 23 विशेष टीमों के द्वारा 50 से अधिक अभियुक्तों की शिनाख्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई और 30 से अधिक फरार अभियुक्तों के घरो पर नोटिस चस्पा किए गए।
- 65 साइबर अपराधियो, आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।
-देश की विभिन्न जेलों में बंद 07 से अधिक साइबर अपराधियों के विरुद्ध की क़ानूनी कार्रवाई व 06 से अधिक अभियुक्तों को जमानती वारंट थमाए।
-अभियान के दौरान 225 आरोपितों ने नाम-पते व फर्जी दस्तावेजों पर बैंक खाते खोले गए। उन्हें मोबाइल नम्बर से ट्रेस किया गया। इनमें से आरोपित की मृत्यु होने की जानकारी प्राप्त हुई।
-ऑपरेशन प्रहार के दौरान पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए घर से फरार 30 अभियुक्तो के घरो पर नोटिस चस्पा किए गए।
-अभियान के तहत कुल मिलाकर 290 से अधिक आरोपितों के विरुद्ध देशभर में एक साथ कार्रवाई की गई।
पुलिस के सामने आई ये चुनौतियां-
भाषाई बाधाएं : तमिल, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली, मराठी, गुरमुखी आदि भाषाओं ने संवाद को कठिन बनाया।
भौगोलिक कठिनाई : दुर्गम व भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में पहुंचने में समस्या हुई।
संस्कृति व खानपान का अंतर : क्षेत्रीय विविधताओं के चलते प्रारंभिक समन्वय में विलंब हुआ।
फर्जी दस्तावेजों का उपयोग : फर्जी पहचान का इस्तेमाल करने से तलाश व पहचान में कठिनाई हुई।
अपराधियों का संगठित रूप से काम करना : कुछ जगहों पर अभियुक्तों को स्थानीय समर्थन मिला, जिससे प्रत्यक्ष विरोध का सामना करना पड़ा।
एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि ऑपरेशन प्रहार अभी भी जारी है और टीमें अभी अलग-अलग राज्यों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस देश की संभवतः पहली पुलिस है, जिसने पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एक साथ साइबर अपराधियों के विरुद्ध समन्वित कार्रवाइयां की गईं। इससे देशभर के साइबर अपराधियों को एक सख्त सन्देश गया है कि वे अब कानून की पकड़ से दूर नहीं हैं।
उत्तराखंड एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई, देश के 17 राज्यों में 290 साइबर अपराधियों पर कसा शिकंजा
