पलामू, । छतरपुर के पूर्व विधायक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि पलामू
जिले में खतरनाक ढंग से भूगर्भीय जलस्तर नीचे जा रहा है। पेयजल, भवन
निर्माण तथा अन्य सरकारी विभागों के जरिए मनमाने ढंग से जल का दोहन किया जा
रहा है। झारखंड राज्य गठन के 23 वर्ष पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक जल
नीति नहीं बनी है। जलनीति बन गई होती तो सिंचाई, पेयजल, उद्योग आदि
प्रक्षेत्रों के लिए जल उपयोग का लक्ष्य निर्धारित कर दिया जाता। पलामूू
में भूगर्भीय जल के पुनर्भरण (रिचार्ज) के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं
है।
किशोर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, भीषण गर्मी,
कमजोर मानसून, तेजी से बढ़ता हुआ शहरीकरण तथा जल की बर्बादी के कारण जल की
समस्या उत्पन्न हो रही है। जिले के जल स्तर में 15 से 17 मीटर की गिरावट आई
है। नतीजतन जिले में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है। पलामू जिले में
वर्ष 2023 में अप्रैल से अक्टूबर माह तक सामान्य औसत वर्षापात 1162.75 मिली
मीटर के सापेक्ष 685.05 वास्तविक वर्षा होने का दुष्प्रभाव जल संचयन के
स्रोतों पड़ा है। कोयल, अमानत, जिंजोई, सदाबह, सुखरो, बंका जैसी अधिकांश
नदियां सूखी पड़ी हैं। तालाब, आहर, पोखर आदि भी सुख चुके हैं।
भुगर्भीय
जल निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार पलामू जिले में कुल 34257 हेक्टेयर मीटर
जल का वार्षिक पुर्नभरण होता है, जिसके सापेक्ष 31369 हेक्टेयर मीटर जल का
दोहन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। वर्षा जल के पुर्नभरण की कोई ठोस योजना
नहीं रहने के कारण भुगर्भीय जल में कमी आ रही है। यदि 80 प्रतिशत सतही जल
का उपयोग कर लिया जाये तो जमीन के नीचे से पानी निकालने की जरूरत नहीं
पड़ेगी। भूगर्भीय स्तर भी बना रहेगा।
किशोर ने सरकार को जलवायु
परिर्वतन की चुनौतियां और उसके समाधान के लिए रणनीति बनाने की सलाह दी है।
साथ ही कहा कि जलस्तर को संतुलित बनाये रखने के लिए नदियों में बियर तथा
जलाशयों को भरने की योजना बनानी चाहिए। सतही जल को रोकने के लिए चेकडैम का
निर्माण करना चाहिए। पानी बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता
है।
23 वर्षों के बाद भी झारखंड में जल नीति नहीं बनी: राधाकृष्ण किशोर
