चतुर्थ
बाल मेला में शहर के विभिन्न स्कूलों के विशेष बच्चों ने शनिवार को अपनी
प्रतिभा और कल्पनाशीलता का लोहा मनवाया। स्कूल ऑफ होप, आशा किरण, पाथ,
स्टार्ट, जीविका, चेशायर होम, स्कूल ऑफ जॉय, ज्ञानोदय और पीएएमएचजे के
बच्चे मेले में शामिल हुए और चित्रकारी में व्यस्त रहे।
मेला का
माहौल खास था। बड़ी उम्र की एक विशेष बच्ची ने सभी को “गुड मार्निंग” कहा।
शुरुआत में कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन धीरे-धीरे बच्चे और एक-दूसरे ने जवाब
देना शुरू किया। तीसरी बार कहते ही उन्हें दो बच्चों का जवाब मिला और
बच्ची खुशी-खुशी चित्र बनाने में जुट गई।
मुख्य मंच पर बैठकर बच्चों
ने चित्रकारी की। बच्चे आपस में संवाद कर रहे थे, कभी बहस कर रहे थे तो
कभी सहयोग कर रहे थे। एक बच्चा कहता है कि कलर सिर्फ 10 हैं, तो दूसरा उसे
15 कलर दिखाता है और कहता है कि जरूरत हो तो ले लो। धीरे-धीरे बच्चे आपस
में गिनती कर कलर साझा करते हुए अपने चित्र बनाए।
बच्चों ने अपनी
रचनाओं में जो सीखा या जाना, उसे चित्रों में उतारा। चित्र बनाने के बाद
बच्चे स्टॉल घूमते हुए मेले का आनंद लेने लगे। इस दौरान उनका उत्साह, संवाद
और हँसी-मजाक सभी को मंत्रमुग्ध कर गया।
बाल मेला बच्चों की
रचनात्मकता और आपसी संवाद का जीवंत उदाहरण साबित हुआ, जहां हर विशेष बच्चा
अपनी कला और सोच के माध्यम से अपना रंगीन संसार पेश कर रहा था।

