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जमकर बरसा पानी, गीले खेत देख किसान खुश





खूंटी,।  दक्षिणी छोटानागपुर में मानसून के आगमन के साथ ही लगभग सभी जिलों में इसका प्रसार हो चुका है। हालांकि इस क्षेत्र में मानसून थोड़ी देर से आया और इसको लेकर किसानों में निराशा भी थी, पर अब हो रही झमाझम बारिश से उनके चेहरे पर रौनक आ गई है।

किसानों के लिए अमृत की तरह है वर्षा: डॉ राजन चौधरी



खूंटी सहित पूरे क्षेत्र में हो रही मानसूनी बारिश किसानों के लिए अमृत के समान है। खासकर धान, मड़ुआ, मकई के साथ ही सब्जी की फसलों के लिए वर्षा काफी फायदेमंद है। ये बातें कृषि विज्ञान केंद्र खूंटी के मौसम वैज्ञानिक डॉ राजन चौधरी ने कही।

उन्होंने कहा कि किसान कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दी जा रही जानकारी के अनुसार खेती करेंगे, तो काफी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि सलाह न मानने वाले किसानों को पछताना भी पड़ सकता है। डॉ चौधरी ने कहा कि सब्जी की खेती और मड़ुआ के बिचड़े डालते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, अन्यथा बिचड़े गल जाएंगे।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मानसून के और कुछ दिन सक्रिय रहने की संभावना है। डॉ चौधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को खेती संबंधी सलाह और मौसम की जानकारी दी जाती है। इसका लाभ किसानों को जरूर उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छह जुलाई के बाद मौसम में बदलाव आयेगा। कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि चार जुलाई तक जिले में 60 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है। उन्होंने कहा जुलाई महीने में औसत से अधिक बारिश होने की संभावना है।



किसानों को विशेष सलाह



कृषि मौसम विज्ञानी डॉ राजन चौधरी ने किसानों का सलाह दी है कि धान की सीधी बुआई के लिए कम समय में तैयार होने वाली किस्मों जैसे सहभागी, आई.आर.-64 डी. आर.टी.-1, बिरसा विकास धान-110 या 111, वंदना, ललाट इत्यादि में से किसी एक किस्म का चुनाव करें। फसल में खर-पतवार नियंत्रित रखने के लिए बोआई के 2-3 दिनों बाद खर- पतवार नाशी दवा प्रेटीलाक्लोर 4 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।



धान



जो किसान भाई अभी तक धान का बिचड़ा तैयार करने के लिए बीज स्थली में बीज नहीं डाल पायें है वे जल्द से जल्द बीज स्थली में बीज डाले तथा बीज स्थली को जमीन के सतह थोडा ऊपर बनायें एक एकड़ में रोपा के लिए जमीन (बीजस्थली) में 15-18 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीजस्थली में 100 किलोग्राम कम्पोस्ट, 2.5 किलोग्राम यूरिया, 6 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 1.5 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटास 100 वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें। निचली जमीन में रोपा के लिए दोन-। खेत के लम्बी अवधि तथा दोन-2 खेतों के लिए मध्यम अवधि वाली किस्म का चुनाव करें। मडुआ की उन्नत किस्म ए.-404, बिरसा मडुआ-2, बिरसा मडुआ-3, जी.पी.यू-28, जी.पी.यू.-67, भी.एल.-149 आदि में से किसी एक किस्म का चुनाव करें। एक एकड़ में खेती करने के लिए 3.5-4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।