नई
दिल्ली उद्योगपति गौतम अडानी अमेरिका में धोखाधड़ी और
रिश्वतखोरी के आरोपों पर घिर गए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने अडानी के
बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस के
हमलों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पलटवार करते हुए कहा कि कंपनी खुद
ही बयान जारी कर अपना बचाव करेगी और कानून अपना काम करेगा।
गुरुवार
को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में भाजपा सांसद संबित पात्रा
ने कहा कि आज सुबह से हम मीडिया में एक कंपनी से जुड़ा मुद्दा देख रहे हैं।
उस कंपनी के खिलाफ अमेरिका में एक मामला है। आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं।
हमारा स्पष्ट मानना है कि जहां तक कंपनी और उसके खिलाफ मामले का सवाल
है, कंपनी खुद ही बयान जारी कर अपना बचाव करेगी। कानून अपना काम करेगा।
पात्रा
ने कहा कि आज एक बार फिर राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने
फिर अपना वही व्यवहार दिखाया और बातों को उसी तरह से रखा जैसे वो करते आए
हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ भी नया नहीं था। उनके पास कुछ नाम, तरीके
हैं जिनका इस्तेमाल करके वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और भाजपा,
प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाने की कोशिश करते हैं। 2019 में राहुल गांधी
राफेल मुद्दे पर भी इसी तरह से सामने आए थे। उन्होंने दावा किया था कि
बड़ा खुलासा होगा। कोविड महामारी के दौरान भी वो वैक्सीन को लेकर इसी तरह
से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे। हालांकि, बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से
माफ़ी मांगनी पड़ी थी। राहुल गांधी की प्रधानमंत्री मोदी की विश्वसनीयता
को कम करने का यह पहला प्रयास नहीं है।
उन्हाेंने कहा कि पूरा
मामला बिजली खरीद और राज्य वितरण कंपनियों (एसडीसी) पर समझौतों का है।
अमेरिका और भारत के बीच बिजली का वितरण दो कंपनियों द्वारा किया जाता है-एक
भारतीय और एक अमेरिकी कंपनी। अमेरिकी अदालत में चार भारतीय राज्यों के नाम
पेश हुए। यह मामला जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच का है। उस समय
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।
आंध्र प्रदेश में उस समय वाईएसआरसीपी की सरकार थी। तमिलनाडु में डीएमके
सरकार थी और ओडिशा में बीजेडी की सरकार थी। इसलिए, दस्तावेज़ में जिन 4
राज्यों के नाम दिए गए हैं, उनमें न तो भाजपा के मुख्यमंत्री थे और न ही
हमारे द्वारा समर्थित सरकार थी। उन सभी में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की
सरकारें थीं। राहुल गांधी ने कहा कि अगर उनके किसी पूर्व मंत्री या नेता से
पूछताछ की जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।