वाराणसी, । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी)में सोमवार
से मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत अनुष्ठान शुरू हो गया। महाव्रत का
समापन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 26 नवंबर को होगा। 27
नवंबर को माता के दरबार को धान के नये बालियों से सजाया जाएगा। अगले दिन 28
नवंबर को प्रसाद स्वरूप धान की बाली आम भक्तों में वितरित की जाएगी।
वाराणसी में मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय व्रत अनुष्ठान शुरू, मंदिर में उमड़े श्रद्धालु —अन्तिम दिन किसान अपने धान की फसल की पहली बाली माता के दरबार में अर्पित करेंगे
मातारानी
का यह महाव्रत 17 वर्ष, 17 महीने या 17 दिन का होता है। महाव्रत के पहले
दिन प्रातः काल मंदिर के महंत शंकर पुरी ने 17 गांठ वाले धागे श्रद्धालुओं
को दिए। महिलाओं ने पूरे उत्साह के साथ बाएं और पुरुषों ने दाहिने हाथ में
बांधा। संकल्प के साथ महाव्रत शुरू करने वाले श्रद्धालु दिन में सिर्फ एक
बार फलाहार करेंगे। इसमें नमक का प्रयोग वर्जित है। मंदिर के महंत शंकरपुरी
ने बताया कि 17 दिनों तक महाव्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को अन्न-धन,
ऐश्वर्य की कमी जीवन पर्यन्त नहीं होती। मां अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन
दैहिक, दैविक, भौतिक सुख प्रदान करता है। अन्न-धन, ऐश्वर्य, आरोग्य एवं
संतान की कामना से यह व्रत किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि माता अन्नपूर्णा
का मंदिर पूरे देश में ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी पहली धान की फसल की
बाली अर्पित करते हैं। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के किसान अपनी धान की
फसल की पहली बाली मां को अर्पित करते हैं। फिर उसी बाली को प्रसाद के रूप
में अपनी दूसरी धान की फसल में रखते हैं। किसानों का मानना है कि ऐसा करने
से उनकी फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इस व्रत की शुरूआत मार्गशीर्ष
(अगहन) माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से होती है।
