वाराणसी,। श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के तीसरी वर्षगांठ पर
शुक्रवार को नमामि गंगे के सदस्यों ने महर्षि योगी वेद विज्ञान अध्ययन पीठ
के वेदपाठी बटुकों एवं जनमानस के साथ गंगाद्वार से धाम की आरती उतारी।
सदस्यों ने श्री काशी विश्वनाथ और मां गंगा की आरती उतारकर राष्ट्र में
समृद्धि की कामना की। नव्य गंगाद्वार से द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पाठ कर
बाबा विश्वनाथ को शीश नवाया। इस दौरान श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में चहुंओर ॐ
जय शिव ओंकारा... की गूंज रही।
इसके बाद वेदपाठी बटुकों और नमामि
गंगे के स्वयंसेवकों ने गंगा द्वार के तट की सफाई की। सनातनी संस्कृति के
दिव्य अवसर पर नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि
काशी देव भूमि है। मोक्ष स्थली काशी समर्पण, संस्कार व संस्कृति का मर्म
समाहित किए हुए है। काशी ही नहीं बल्कि विश्व में साधना का केंद्र बाबा
विश्वनाथ हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा विश्वनाथ अनादिकाल से
काशी में गंगा तट पर विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि भव्य नव्य दिव्य काशी
विश्वनाथ धाम आज सांस्कृतिक दिव्यता के साथ आकर्षित व मंत्रमुग्ध कर रहा
है। बाबा का अलौकिक दरबार तन-मन प्रफुल्लित कर रहा है। सनातन धर्म की
मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी और स्वर्ग के बीच काशी को बड़े तीर्थ के रूप
में माना गया है। जनसामान्य के साथ देवी-देवता, महापुरुष भी इस पवित्र धरा
पर भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर आते रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम से आज
बनारस की आर्थिक तस्वीर भी बदल गई है। काशी विश्वनाथ धाम ने सनातन
धर्मावलंबियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है। आज हम हमारी काशी
के सांसद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कह सकते हैं.....
आओ देखो घूमो हमरी काशी।