वाराणसी। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेशस्थली ऐतिहासिक सारनाथ में
लगातार दूसरे दिन गुरूवार को भी बौद्ध श्रद्धालुओं ने लगभग ढाई हजार वर्ष
पुराने बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन पूजन किया। सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी
बौद्ध मंदिर परिसर में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु सुबह से ही पहुंचते
रहे। मंदिर में तथागत की मूल प्रतिमा को भी सजाया गया है। कार्तिक पूर्णिमा
के मौके पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में मूलगंध कुटी बौद्ध
मंदिर का वार्षिकोत्सव भी मनाया जाएगा। अपरान्ह एक बजे से तथागत के अस्थि
अवशेष कलश की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
शोभायात्रा सारनाथ
चौराहा से शुरू होकर सुहेलदेव चौक, म्यूजियम मार्ग होते हुए प्राचीन स्मारक
स्थल होते मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी। महाबोधि सोसायटी
ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु आर. सुमितानंद थेरो के अनुसार अस्थि
अवशेष का दर्शन 15 नवम्बर तक ही होगा। कार्तिक पूर्णिमा पर शाम को तथागत की
उपदेशस्थली तीन हजार दीयों की रोशनी से जगमग होगी। इस दौरान परिसर को
बिजली के रंगीन झालरों व पंचशील झंडो से भी सजाया जाएगा।