जयपुर। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार से शुरू हुए शारदीय
नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ में वेदमाता
गायत्री के समक्ष अनेक साधकों ने गायत्री महामंत्र का जप किया। बड़ी संख्या
में बच्चों ने मंत्रलेखन किया। सामूहिक जप के बाद हवन किया गया। इसमें
गायत्री एवं महामृत्युंजय महामंत्र के साथ आहुतियां प्रदान की गई। दुर्गा
गायत्री मंत्र के साथ विशिष्ट आहुतियां भी दी गई। यज्ञ के बाद श्रद्धालुओं
ने प्रज्ञेश्वर शिव परिवार के दर्शन किए।
शक्तिपीठ के मुख्य
ट्रस्टी धर्म सिंह राजावत ने बताया कि शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन ही मां
गायत्री की प्राण प्रतिष्ठा शांतिकुंज हरिद्वार से आई विद्वानों की टोली ने
विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कराई थी। गायत्री परिवार
राजस्थान के समन्वयक ओम प्रकाश अग्रवाल, सतीश भाटी, डॉ प्रशांत भारद्वाज,
कालवाड़ सरपंच त्रिवेंद्र सिंह, सुप्रीत यादव ने सप्तनीक पूजा अर्चना की।
इससे पूर्व यजमानों ने षट्कर्म, शुद्धि सिंचन, दूध, दही, घी, शहद, गोबर,
गोमय, गोमूत्र, भस्म, मृतिका, कुशा से दस विध स्नान कराकर बीज मंत्रों से
प्राण आह्वान किया गया। प्राण स्थिरिकरण कर षोडशोपचार पूजन किया गया। सभी
क्रियाएं मंदिर के गर्भ गृह में पर्दे के अंदर सम्पन्न हुई। प्राण
प्रतिष्ठा बाद गायत्री चालीसा पाठ और ऊं नम: शिवाय मंत्र का सामूहिक जाप
किया गया। महाआरती के लिए जैसे ही पर्दा हटा तो खुशी के मारे श्रद्धालुओं
की आंखें छल छला उठी। मुख्य ट्रस्टी धर्म सिंह राजावत, प्रहलाद शर्मा, मंगल
सैनी सहित अन्य ने एक दूसरे के गले लगकर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की बधाई
दी। श्रद्धालुओं ने बारी बारी मां गायत्री और शिव परिवार के दर्शन किए।
दो सौ गांवों को मिलेगा आध्यात्मिक लाभ:
उल्लेखनीय
है कि मां गायत्री की इस शक्तिपीठ में करीब दो सौ गांवों के लोग
आध्यात्मिक लाभ लेने पहुंचेंगे। यहां प्रतिदिन हवन और संस्कार होते हैं। अब
भारतीय संस्कृति के अनुसार जन्मदिन और विवाह दिवस संस्कार मनाए जाएंगे।
पर्यावरण संरक्षण, कुरूति उन्मूलन, नारी जागरण, बाल संस्कार शाला, कन्या
कौशल शिविर जैसे कार्य भी संपन्न होंगे। दो ओर पहाड़ों से घिरे शक्तिपीठ से
संस्कारों की सुवास निकलेगी।