वाराणसी,। धर्म नगरी काशी में लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय डाला
छठ में अद्भुत नजारा देखने को मिला। छठ पूजा में किन्नर समुदाय ने भी पूरे
आस्था के साथ भागीदारी की। पर्व पर चारों दिन छठ की परम्परा को पूरे आस्था
के साथ निभाने के बाद तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को किन्नर समाज ने पहला
अर्घ्य दिया। इसके बाद छठी मइया की रात में आराधना के बाद कैंट थाना
क्षेत्र के फुलवरिया गांव के समीप वरूणा नदी में शुक्रवार को कमर भर पानी
में परम्परानुसार खड़ा होकर विभिन्न प्रकार के पकवानों और फलों से सजे सूप
के आगे से उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया।
छठ
पूजा में आस्था के साथ पूरी परम्परा का निर्वहन करने वाली अंशिका किन्नर
ने कहा कि किन्नर समुदाय ने भी पूरे आस्था के साथ छठ मइया की पूजा अर्चना
की है। हम सभी ने छठ माता का व्रत रख उनसे और भगवान सूर्य से प्रार्थना की
है कि देश के वीर जवानों की लम्बी उम्र हो,हमारा देश खुशहाल रहे और आम लोग
के साथ किन्नर समुदाय में सुख शांति रहे। किन्नर समाज के सलमा किन्नर ने
बताया कि भारत ही नहीं विश्व भर में पूरे उत्साह के साथ छठ पर्व मनाया जाता
है। हमारे समुदाय ने भी पहली बार वाराणसी में छठ पूजन में शामिल हुआ है।
हम सभी ने छठ माता का व्रत रखते हुए भगवान सूर्य से प्रार्थना की है कि
हमारे देश के वीर जवानों की लम्बी उम्र हो। उनको सलामत रखे और देश की जवान
सेवा इसी तरह करते रहे। देश के जवान सरहद पर हम लोगों की रक्षा करते हैं।
इसलिए उनके लिए छठ मईया से प्रार्थना की गई। छठ मईया की व्रत रखने से सारी
मनोकामना पूर्ण होती है। हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमें इस पर्व पर
पूजन करने का अवसर मिला। उधर,महापर्व पर लगातार 36 घंटे निराजल व्रत रख
तीसरे दिन अस्ताचल गामी सूर्य को दूध और जल का पहला अर्घ्य देने के बाद
हजारों महिलाएं गंगा तट,तालाबों,कुंडों,सूर्य सरोवर पर रूक गई। पूरी रात
उन्होंने छठ की वेदी पर बैठकर जागरण करते हुए उनकी आराधना की। महिलाओं का
अद्भुत आस्था देख लोग खास कर बाहर से आने वाले पर्यटक चकित रह गए। सनातन
धर्म का ये रूप उनके दिल को छू गया। महिलाओं के साथ बनारस घूमने आई विदेशी
महिलाएं भी उनका यह आस्था देख गदगद दिखी।
शुक्रवार तड़के आसमान में
कोहरे और धुंध के बीच पूर्व दिशा में जैसे ही सूर्य की लालिमा दिखी
व्रतियों ने भगवान सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया। जिले के ग्रामीण अंचलों में
भी व्रतियों ने अर्घ्य देकर नारियल, सेव, केला, घाघरा निंबू, ठेकुंआ भगवान
को समर्पित किया। इससे पहले घाटों पर बच्चों ने जमकर आतिशबाजी की। उनके
परिजन, रिश्तेदार भी बैंडबाजे, नगाड़े की धून पर थिरकते नजर आएं। पर्व पर
सामनेघाट ,अस्सीघाट, तुलसी घाट, हनुमान घाट से लेकर मान सरोवर पांडेय घाट
तक सिर्फ छठी मइया के भक्त नजर आ रहे थे। सर्वाधिक भीड़ दशाश्वमेध
घाट,अस्सीघाट,पंचगंगा,सामनेघाट पर रही। इसके अलावा डीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य
सरोवर,सूरज कुंड,लक्ष्मीकुंड, ईश्वरगंगी तालाब,पुष्कर तालाब, संकुलधारा
पोखरा, रामकुंड के साथ घरों और कालोनियों में बने अस्थाई कुंडों पर अन्तिम
दिन अर्घ्यदान के लिए व्रती महिलाएं और उनके परिजन जुटे रहे। आस्था का यह
अलौकिक नजारा देख हर कोई छठ माता के प्रति श्रद्धाभाव दिखाता रहा।
बरेका सूर्य सरोवर पर पर्व भव्यता और धार्मिक उत्साह के साथ मना
बनारस
रेल इंजन कारखाना (बरेका) में इस वर्ष भी छठ पूजा का पर्व भव्यता और पूरे
धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने बरेका स्थित
पवित्र सूर्य सरोवर में चार दिवसीय छठ पूजनोत्सव के अंतिम दिन उगते सूर्य
को अर्घ्य अर्पित कर, व्रत का पारण किया। यह आयोजन न केवल आस्था और श्रद्धा
का प्रतीक रहा, बल्कि इसमें सहभागिता करने वाले श्रद्धालुओं के मन में छठ
मइया और भगवान भास्कर के प्रति गहरी भक्ति देखने को मिली। बरेका छठ पूजा
समिति के अध्यक्ष सी.के. ओझा और महामंत्री अजय आर के अनुसार पर्व के तीसरे
दिन, निर्जला व्रत रखने वाली व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों ने अस्त होते
सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत का पालन किया। अंतिम दिवस पर व्रती
महिलाओं और पुरुषों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण किया। सरोवर
पर इस दौरान लोगों को धार्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ। आयोजन स्थल पर सुरक्षा
और व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस, रेलवे सुरक्षा
बल, एनडीआरएफ,सेंट जॉन्स एम्बुलेंस ब्रिगेड, नागरिक सुरक्षा दल, और जिला
भारत स्काउट गाइड के सदस्य तैनात रहे।