लखनऊ,। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन माता की अगवानी के लिए
दुर्गा मंदिरों समेत घर में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। माता के प्रथम
स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कर मंदिरों में मंगला आरती के बाद भक्तों
के दर्शन के लिए पठ खोल दिए गए। वहीं सुबह से मंदिरों में भारी संख्या
महिलाओं की भीड़ दर्शन पूजन के लिए पहुंची। घरों में कलश स्थापना के साथ
मां नवदुर्गा की चौकी लगते ही पूजा अर्चन का दौर प्रारंभ हो गया। वहीं
प्रदेश भर में पंडालों में नवदुर्गा पूजा का दौर आज से प्रारंभ होकर नौ
दिनों तक चलेगा और दशमी के दिन माता की विदाई होगी। दुर्गा पूजा को लेकर
पुलिस अलर्ट मोड में है और खुफिया टीम भी संदिग्धों की निगरानी में लग गई
है।
कलश स्थापना करने के पश्चात व्रत एवं पूजा विधि विधान से
प्रारम्भ हो गई है। प्रथम दिन माता के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन अर्चन के
लिए भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष के साथ बच्चे व बुजुर्ग मंदिरों में
पहुंचे। मंदिरों में नवरात्र को लेकर विशेष पूजा अर्चना की गई। माता का
भव्य श्रृंगार किया गया और मंगला आरती के साथ दर्शनों के लिए पट खोल दिए
गए। राजधानी से लेकर प्रदेश के सभी दुर्गा मंदिरों में पूजा आज सुबह से
प्रारंभ हो गई।
इसके अलावा मीरजापुर के विध्यांचल देवी मंदिर,
बांधा के विध्यं पर्वतों स्थित दुर्गा मंदिर, सहारनपुर में मां शाकुम्भरी
माता मंदिर, वाराणसी के देवी मंदिरों, अयोध्या धाम, चित्रकूट, कानपुर,
औरैया के काली भान मंदिर, मथुरा, प्रयागराज मेरठ आदि जनपदों में माता के
मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ पूजा अर्चन के लिए उमड़ने लगी थी।
मां के प्रथम स्वरूप की पूजा करते हुए महिलाओं ने सौभाग्यवती और सुख
समृद्धि की कामना की। मंदिरों में प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी
कैमरे लगाए हुए हैं। इसके साथ ही भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग भी की
गई हैं। साथ ही पुलिस बल भी शहर के प्रमुख मंदिरों में तैनात किए गये हैं।
पंडित
नरेन्द्र दास त्रिपाठी ने बताया कि शारदीय नवरात्र पूजन का विशेष फल
प्राप्त होता है। माता के नौ स्वरूपों में शैलपुत्री प्रथम स्वरूप हैं।
इनकी पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से विशेष लाभ मिलता है। माता सभी
मनोकामना को पूर्ण करने और बिगड़े काम बनाती हैं। उन्होंने बताया कि इस बार
मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रहीं हैं। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार
माना जाता है कि जिससे महामारी फैलने की सम्भावना है और रविवार को महिषा पर
सवार होकर विदा होंगी। अतः इस बार देश में रोग और शोक बढ़ने का संकेत मिल
रहा है।