जगदलपुर,। बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में विगत दो
माह में सुरक्षा बलों के द्वारा नक्सलियों के सबसे सुरक्षित इलाके में छह
बड़े अभियान को सफलता पूर्वक अंजाम देते हुए अब तक कुल 67 नक्सलियों को ढेर
कर दिया है। इसमें नक्सलियों के डिविजनल कमेटी स्तर के नक्सली कैडर के साथ
ही महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ जोनल कमेटी के कैडर के बड़े नक्सली भी
मारे गए हैं।
दशकों से नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहा
अबूझमाड़ अब सुरक्षा बल के निशाने पर है। नक्सलियों के खात्मे के लिए जहां
लगातार कार्रवाई जारी है। बस्तर के नक्सल इतिहास में कभी भी इतनी बड़ी
संख्या में नक्सली नहीं मारे गए थे, जितने पिछले छह महीने के भीतर कुल 138
नक्सली मारे गए हैं। इससे नक्सलियों और उनके कैडर में दहशत व्याप्त है।
जिसके परिणाम स्वरूप अब तक 6 महीने में 400 से अधिक नक्सलियों ने
आत्मसमर्पण कर दिया है। इससे पूर्व आमतौर पर एक वर्ष में औसतन 500 समर्पण
हुआ करते थे। नक्सलियों के मारे गये वर्षवार आंकड़े के अनुसार वर्ष 2018
में सबसे अधिक 125 नक्सली मारे गये थे, वर्ष 2019 में 79, 2020 में 44,
2021 में 48, 2022 में 31, 2023 में 24, एवं 2024 में अब तक 138 नक्सली
विगत 6 माह में मारे जा चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में सत्ता
परिवर्तन के साथ ही नक्सलियों के विरुद्ध सुरक्षा बल ने जिस तरीके से
अभियान तेज किया था, इसके परिणाम अब दिख रहे हैं। नक्सलियों की चौतरफा
घेराबंदी करने गृहमंत्री अमित शाह के सूरजकुंड रणनीति पर काम करते हुए
सुरक्षा बल अब पड़ोसी राज्यों के समन्वय से नक्सल उन्मूलन अभियान को गति
दे रही है। अबूझमाड़ के छोटेबेठिया में 16 अप्रैल को 29 नक्सली को ढेर कर
पहला बड़ा सफल अभियान किया गया था, पर इसकी शुरुआत जनवरी माह में ही कर दी
गई थी। जब महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में 65 किमी पैदल चलकर सुरक्षा बल
ने पहुंचविहीन गर्डेवाड़ा में नया कैंप स्थापित किया था। राज्य की सीमा को
सीलबंद करने के अलावा तीन हजार केंद्रीय सुरक्षा बल को ओडिशा से बस्तर भेजा
गया है, जिसकी तैनाती अबूझमाड़ क्षेत्र में की गई है। इसके अलावा 19 नये
सुरक्षा बल के कैंप पिछले छह माह में सीधे नक्सलियों के आधार क्षेत्र में
खोले गए हैं। नये कैंपों के बड़ी तादाद में विस्तार होने से नक्सलियों के
पीएलजीए के सशस्त्र लड़ाके अब बस्तर के गांवों में फैले मिलिशिया सदस्यों
तक अपनी पहुंच नहीं बना पा रहे हैं। अब मिलिशिया कैडर नक्सलियों के प्रभाव
से बाहर निकलते दिख रहे हैं। बस्तर में नक्सलियों के लिए यह बड़ा नुकसान
है।
बस्तर में अबूझमाड़ कभी नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका माना
जाता था लेकिन बीते छह महीने में सुरक्षाबलों ने यहां कई बड़े ऑपरेशन किए
हैं जिससे नक्सलियों की चूलें हिल गई हैं। इस वर्ष अब तक फोर्स ने 40 से
ज्यादा ऑपरेशन किए हैं जिसमें 67 नक्सली ढेर हुए हैं। कभी समूचे बस्तर के
15 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में नक्सली प्रभावी थे, लेकिन अब वह सिमटकर चार
हजार वर्ग किमी क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं। 11 हजार वर्ग किमी पर अब
सीधे फोर्स का कंट्रोल है क्योंकि ऐसे इलाकों में फोर्स के 150 से ज्यादा
कैंप स्थापित किए जा चुके हैं। अबूझमाड़ की अबूझ जंगल-पहाड़ियाें में
केंद्रीय स्तर के नक्सली नेता छिपकर रणनीति बनाने और नये बेसिक कम्युनिटी
ट्रेनिंग स्कूल में लड़ाकू को प्रशिक्षित करते थे। खुफिया विभाग के अनुसार
यहां नक्सली नेता गणपति, वसव राजू, देवजी, कादरी सत्यनरायण रेड्डी उर्फ
कोसा, रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड्सा उसेंडी, सुजाता, अल्लूरी कृष्णा उर्फ
रत्नाबाई, पदमा उर्फ कल्पना, हिड़मा सहित अन्य शीर्ष नक्सली की उपस्थिति
रहती है, जो कि अब सुरक्षा बल के निशाने पर हैं।
बस्तर आईजी
सुंदरराज पी. ने बताया कि बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में हम तेजी
से बढ़ रहे हैं। फोर्स को बीते छह महीने में कई बड़ी सफलताएं मिली हैं।
नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र सिमटता जा रहा है। नक्सल प्रभाव वाले दो तिहाई
क्षेत्र में अब नक्सलियों को जनता ने भी नकार दिया है। नक्सल मुक्त बस्तर
का जो लक्ष्य है उसे पाने के लिए हम रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।
अबूझमाड़ में लंबे और रणनीतिक अभियान चलाकर इस क्षेत्र को नक्सल मुक्त करने
की योजना है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल मानसिक रूप से सशक्त है और ऐसे
अभियान में दक्ष हो चुके हैं। आधुनिक उपकरण से लैस सुरक्षा बल अब कठिन से
कठिन परस्थितियों में भी अभियान करने में सक्षम है। साथ ही नये स्थापित
कैंपों से नियद नेल्ला नार योजना के तहत अंदरुनी गांव में समानांतर विकास
कार्य भी शुरु किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों का भरोसा सुरक्षाबलों के
प्रति बढ़ा है।
बस्तर के नक्सल इतिहास में अबूझमाड़ में 67 नक्सली सहित संभाग में सबसे अधिक 138 नक्सली मारे गए
