अहमदाबाद, । गुजराती साहित्य के आदि कवि ‘नर्मद’ के जन्मदिवस, 24
अगस्त को विश्व गुजराती भाषा दिवस मनाया जाता है। गुजरात सरकार ने गुजरात
की गहन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में इस
वर्ष एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। इसके अंतर्गत अनमोल विरासत से जुड़े
गुजरात के मध्यकालीन कवियों की पांडुलिपियों एवं रचनाओं को संरक्षित करने
के लिए भक्त कवि नरसिंह मेहता अंतरराष्ट्रीय संशोधन केंद्र की स्थापना करने
का निर्णय लिया गया है।
जूनागढ़ में भक्त कवि नरसिंह मेहता
यूनिवर्सिटी परिसर में 15 करोड़ रुपए की लागत से 5 एकड़ क्षेत्र में यह
संशोधन केंद्र स्थापित किया जा रहा है। फरवरी 2024 में पर्यटन एवं
सांस्कृतिक गतिविधि मंत्री मुलुभाई बेरा ने संशोधन केंद्र की इमारत का
शिलान्यास किया था। इस केंद्र का निर्माण कार्य 2025 के अंत तक पूरा हो
जाएगा।
मध्यकालीन युग की हजारों रचनाएं संकलित
इस प्रोजेक्ट
के संबंध में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. भाग्येश झा ने कहा कि,
“मध्यकाल में गुजराती भाषा में जितना काम हुआ है, उतना किसी अन्य भारतीय
भाषा में नहीं हुआ है। उस काम को बाहर लाना बहुत आवश्यक है। उस दौर के
नरसिंह मेहता, मीराबाई, प्रेमानंद, भालण, अखो, दयाराम और गंगासती-पान बाई
जैसे कवियों और भक्तों की एक समृद्ध विरासत है। मध्यकालीन युग की ही बात
करें, तो अब तक हमने अलग-अलग हजारों रचनाएं संकलित गई हैं। इस संशोधन
केंद्र के माध्यम से उन पदों का निष्कर्ष निकालकर उनकी समुचित व्याख्या की
जाएगी और उन्हें मौजूदा परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जाएगा ताकि वह
वर्तमान और भावी पीढ़ियों तक पहुंच सके।”
मध्यकालीन गुजराती साहित्य का बनेगा म्यूजियम
इस
संशोधन केंद्र में मध्यकालीन गुजराती साहित्य का एक म्यूजियम बनाया जाएगा।
इस म्यूजियम में मध्यकालीन पांडुलिपियां और उनकी प्रतिकृतियां, वर्चुअल
रियलिटी के माध्यम से साहित्य और साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व
का प्रदर्शन किया जाएगा। इतना ही नहीं, साहित्यकारों की जीवन यात्रा तथा
मध्यकालीन पुस्तकों को डिजिटल तथा ऑडियो-वीडियो स्वरूप में भी दर्शाया
जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारत में किसी भी भाषा के आदि कवि का आधुनिक
म्यूजियम नहीं है। इस दृष्टि से मध्यकालीन गुजराती साहित्य का म्यूजियम
अपनी तरह का पहला म्यूजियम होगा। इसके अलावा, इस केंद्र में शोध कक्ष,
ई-लाइब्रेरी, ग्रंथ मंदिर और ऑडिटोरियम भी बनाया जाएगा।
युवाओं के लिए ‘कैफे में कविता’
मौजूदा
दौर में युवाओं को गुजराती साहित्य की ओर आकर्षित करने के लिए गुजरात
साहित्य अकादमी के मार्गदर्शन में ‘कैफे में कविता’ कार्यक्रम चलाया जा रहा
है। गुजरात साहित्य अकादमी के महामात्र डॉ. जयेन्द्रसिंह जादव ने इसके
बारे में बताया कि, “आमतौर पर आज के युवा अपना काफी वक्त कैफे में बिताते
हैं। इसलिए हमने सोचा कि क्यों न साहित्य को ही युवाओं तक ले जाया जाए।
इसलिए हमने ‘कैफे में कविता’ कार्यक्रम की शुरुआत की। यह कार्यक्रम राज्य
के अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है। यह कार्यक्रम अब काफी लोकप्रिय
हो गया है और युवा इस में काफी उत्साह से भाग ले रहे हैं।”
विश्व गुजराती भाषा दिवस : मध्यकालीन युग की हजारों रचनाएं संकलित की गईं, अब किया जाएगा शोध -जूनागढ़ में आकार लेगा ‘नरसिंह मेहता अंतरराष्ट्रीय संशोधन केंद्र’
