कानपुर। विधि छात्रों को न्यायालय की कार्यप्रणाली और कानूनी
प्रक्रियाओं को समझने के उद्देश्य से छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय
(सीएसजेएमयू) ने अनूठा मंच प्रदान किया है। यह मंच प्रथम अटल बिहारी
वाजपेयी राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता के तौर पर है जिसका शुभारम्भ
शुक्रवार को किया गया। इसके जरिये छात्र केस लॉ, विधिक प्रावधानों और
तर्कशास्त्र का प्रयोग करते हुए कोर्ट में प्रस्तुतियों देने का अभ्यास
करेंगे। इसके साथ ही छात्रों का कौशल विकास एवं व्यवसायिक परिपक्वता भी
बढ़ेगी। इस त्रिदिवसीय मूट कोर्ट के पहले दिन अतिथियों ने अपने विचार
व्यक्त किये और छात्रों को विधि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की भी
जानकारी दी।
सीएसजेएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज
विभाग द्वारा आयाेजित प्रथम अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय मूट कोर्ट
प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न हिस्सों से 34 टीमों ने भाग लिया। जिनमें
100 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हैं। इस त्रिदिवसीय प्रतियोगिता के दौरान
भारत सरकार द्वारा वर्तमान में लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा की
जाएगी। प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों को विधिक क्षेत्र में कौशल विकास
एवं व्यावसायिक परिपक्वता के सम्बंध में एक अनूठा मंच प्रदान करना है।
प्रतियोगिता का उद्घाटन शुक्रवार को विश्वविद्यालय के सेनानायक तात्या
टोपे सीनेट हॉल में हुआ।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार
श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं
दीं और विधिक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में अपने
अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके विचार में एआई न्यायिक
प्रक्रिया पर एक प्रकार का स्वयं द्वारा दिया हुआ घाव है जो निश्चित रुप
से जिला स्तर पर कार्यरत न्यायाधीशों के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
साथ ही उन्होंने बताया कि हमें मूट कोर्ट की समस्याओं में संवैधानिक व
अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं के साथ साथ आपराधिक समस्याओं को भी सम्मिलित करना
चाहिए। क्योंकि 95 प्रतिशत से अधिक अधिवक्ता जिला स्तर के न्यायालयों में
प्रैक्टिस करते हैं जहां प्रायः आपराधिक मामलों पर ही जिरह होती है।
--वैश्विक स्तर के विधि निर्माता की दिख रही झलक
विशेष
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के आयोजन सचिव श्रीहरि बोरिकर
ने आए हुए विधि छात्र छात्राओं को बहुमूल्य विचार प्रदान किए। उन्होंने कहा
कि आप सभी प्रतिभागियों में वैश्विक स्तर के विधि निर्माता, अच्छा
अधिवक्ता व न्याय के प्रहरी की झलक दिख रही है। आगे कहा कि जो कार्य
अधिवक्ता स्वयं कर सकता है वह चैट जीपीटी नहीं कर सकता क्योंकि चैट जीपीटी
हमें ड्राफ्टिंग तो सीखा सकती है, परंतु उसके पास सोचने की क्षमता नहीं
होती। उन्होंने एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में कानूनी ढांचे की आवश्यकता को
उठाया, साथ ही मानवीय भावनाओं की कमी में प्रौद्योगिकी की सीमाओं को भी
पहचाना। उन्होंने वकालत कौशल को निखारने में मूट कोर्ट की भागीदारी के
महत्व को भी रेखांकित किया।
--समाज में कार्य करने की सीख में मदद करती है मूट कोर्ट
विशिष्ट
अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश कानपुर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि मूट
कोर्ट एक व्यक्ति को समाज में कैसे कार्य करना है यह सीखने में मदद करती
है। साथ ही उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए छात्रों से दूसरों के
दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए प्रेरक कौशल विकसित करने का आग्रह किया और
उन्हें मूटिंग को एक मूल्यवान शिक्षण अनुभव के रुप में अपनाने के लिए
प्रोत्साहित किया। वहीं कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने प्राचीन न्यायिक
प्रणालियों में 'धर्म' की भूमिका पर प्रकाश डाला और साइबर अपराध और पेटेंट
विवादों को हल करने के लिए एआई और नए तरीकों के बढ़ते महत्व पर चर्चा की।
बताया कि मूट कोर्ट प्रतियोगिता के पहले दिन 17 कोर्ट रुम संचालित हुए
जिनमें 2 प्रारम्भिक राउंड होने हैं जिसके पश्चात 34 में से 17 टीमें अगले
दिन शनिवार को होने वाले क्वार्टर फाइनल के लिए व उसमें से विजयी होने वाली
4 टीमें सेमी फाइनल के लिए चयनित की जायेंगी। विजयी अंतिम 2 टीमों के मध्य
रविवार को फाइनल राउंड का आयोजन किया जाएगा।