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नेपाल-भारत के बीच ट्रांसमिशन लाइन पर सहमति



काठमांडू। नेपाल और भारत के ऊर्जा सचिवों की बैठक के बाद नेपाल में बड़ी ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण कार्य के समझौते के अंतिम ड्राफ्ट पर सहमति हो गई। नई दिल्ली में मंगलवार को संपन्न दो दिवसीय ऊर्जा सचिव स्तरीय बैठक में काठमांडू में हुई सह सचिव स्तरीय वार्ता बैठक के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है। अब जल्द ही ऊर्जा मंत्री स्तरीय बैठक या प्रधानमंत्री स्तरीय वार्ता में इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

बैठक में हिस्सा लेने वाले नेपाल विद्युत प्राधिकरण के महानिदेशक कुलमान गुरूंग ने बताया कि नेपाल और भारत के बीच हुए 10 हजार मेगावाट बिजली निर्यात के समझौते को साकार करने के लिए उच्च क्षमता वाली प्रसारण लाइन का निर्माण कार्य संपन्न होना सबसे पहली शर्त थी। उन्होंने बताया कि सहमति के बाद मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है।

नेपाली ऊर्जा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच हुई सचिव स्तरीय बैठक में 400केवी क्षमता वाली दो नई प्रसारण लाइन का निर्माण कार्य और एक पुराने प्रसारण लाइन की क्षमता को बढ़ाने को लेकर सहमति हुई है। नेपाल सरकार के ऊर्जा सचिव सुरेश आचार्य ने बताया कि बैठक में इनरवा-पूर्णिया और दोधारा-बरेली 400 केवी क्षमता लाइन के निर्माण पर सहमति हुई है। इसके अलावा तीन अन्य अंतर्देशीय प्रसारण लाइन निर्माण की क्षमता बढ़ाने पर भी सहमति हुई है। इनमें निजगढ़-मोतिहारी, कोहलपुर-लखनऊ और ढलकेबर-मुजफ्फरपुर लाइन शामिल है। इसमें ढलकेबर-मुजफ्फरपुर के बीच 400 केवी क्षमता लाइन की क्षमता को बढ़ाकर 1000 केवी करने पर भी सहमति हुई है। नेपाल और भारत के बीच सबसे अधिक बिजली का आयात-निर्यात इसी लाइन से किया जाता है। यह दोनों देशों के बीच पहली अंतर्देशीय प्रसारण लाइन है।

ऊर्जा सचिव आचार्य के मुताबिक, इन सभी परियोजना के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण और पावर ग्रिड ऑफ इंडिया के अधिकारी संयुक्त उपक्रम बनाएंगे। इसमे नेपाल की तरफ के निर्माण कार्य में प्राधिकरण की 51 प्रतिशत और पावर ग्रिड ऑफ इंडिया की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

ऊर्जा मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया है कि निजगढ़-मोतिहारी और कोहलपुर-लखनऊ लाइन का निर्माण कार्य 2034-2035 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।